gramin-samaj-me-vidhman-shakti-sanrachna

ग्रामीण समाज में विद्यमान शक्ति संरचना

 समकालीन भारत के ग्रामीण समाज में विद्यमान शक्ति संरचना का विश्लेषण कीजिए

 

 

ग्रामीण भारत में शक्ति-संरचना

 

भारतीय ग्रामीण समाज की शक्ति संरचना की गतिशीलता के अध्ययन से हम सामाजिक परिवर्तन की क्रियायें, सामाजिक संघर्ष और सामाजिक संगठन और सामाजिक विघटन के सम्बन्ध में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं । इस प्रकार शक्ति की संरचना की अवधारणा का सामाजिक व्यवस्था के अध्ययन में केन्द्रीय स्थान है । सैद्धान्तिक दृष्टि से शक्ति संरचना की अवधारणा पर विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न मत प्रकट किये हैं । समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से शक्ति संरचना की अवधारणा को समझने के लिए हम उसे विभिन्न वर्गों में व्यक्त कर सकते हैं । इस दृष्टिकोण से समाजशास्त्रियों, मनोवैज्ञानिकों, राजनैतिज्ञों तथा दर्शनशास्त्रियों द्वारा प्रस्तुत शक्ति संरचना की अवधारणा का महत्वपूर्ण स्थान है । प्लेटो और अरस्तु से लेकर आज तक के राजनीतिक विचारकों ने शक्ति संरचना की अवधारणा का राज्य के सिद्धान्तों से सम्बन्धित करने का प्रयास किया है । परन्तु यह उचित नहीं जान पड़ता है । इससे शक्ति की अवधारणा को समझने में जटिलता एवं श्रम उत्पन्न हो सकता है । समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से सामाजिक संगठन का एक महत्वपूर्ण अंग है । समाजशास्त्रियों ने शक्ति को व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग माना है । पारसन्स ने शक्ति की संरचना को राजनीतिक संरचना से पृथक करके इसके प्रकार्यात्मक विश्लेषण द्वारा इसे सामाजिक सरचना का समतुल्य कारक बतलाया है । पारसन्स का कहना है कि शक्ति संरचना सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक स्तरण सम्बन्धी क्षेत्रों का एक महत्वपूर्ण कारक है ।

 

(1)ग्रामीण शक्ति संरचना में परिवर्तन –

भारत के ग्रामीण समुदाय की शक्ति संरचना में निरन्तर परिवर्तन हो रहे हैं । शक्ति की संरचना में परिवर्तन होने से ग्रामीण समुदाय के आर्थिक ढांचे में भी निरन्तर परिवर्तन हो रहा है । शक्ति संरचना में होने वाले न को हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं –

 

(2)सामन्तवाद और जमींदारी प्रथा का प्रभाव –

सामन्तवाद और जमीदारी प्रथा पूर्व ग्रामीण शक्ति संरचना जमींदारी व्यवस्था से प्रभावित थी । सामन्ती, भू-स्वामी और ग्रामीण जमींदार समान स्वामित्व वाली जमीनों को अपने कब्जे में लेते थे, जमीन के एक हिस्से को पटटे पर उठा देते थे। उसकी उपज का एक भाग खुद लेकर और एक हिस्सा राजा को देते थे । राजाओं को कर आमतौर पर बड़े-बड़े जागीरदार भू- स्वामी देते थे । वे अपने-अपने क्षेत्रों में मनमाने अधिकारों को लाग अर्थ यह है कि स्थानीय जागीरदारों और जमींदारों के हाथ में व्यवहारतः राजनीति और प्रशासकीय सत्ता पहुँच जाती थी । चूँकि गांवों का मुख्य व्यता है. इसलिए भूमि पर एकाधिकार और आर्थिक क्रियाओं पर आधिपत्य शक्ति है नियंत्रित और प्रभावित किये हुए था । इस प्रकार जमीदार के पास आर्थिक नियंत्रण रहता था और इसी कारण उसके पास ग्रामीण समुदाय का नेतृत्व रहता है।

See also  संस्कृतिकरण का अर्थ | संस्कृतिकरण पर निबंध

 

(3) मुखिया की भूमिका –

सामन्त काल के भारत में ग्राम प्रशासन का काम के मुखिया अथवा लिपिक की सहायता से चलाया जाता था और गांव की चुनी हई पंचायत गाँव का प्रबन्ध करती है । सरपंच का यह कर्तव्य होता था कि वह ग्राम सभा तथा सभा के निर्णयों को कार्यान्वित करे । उसका स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है और ना पर ही सबसे बढ़कर जिम्मेदारी रहती थी । वहीं गांव के लोगों के झगड़ों का निपटारा करता था, बाहर से आक्रमण होने पर सुरक्षा का प्रबन्ध करता था, आमतौर के समय ग्राम समुदाय के हितों की रक्षा करता था । इस प्रकार गांव-पंचायत से शक्ति संरचना को अत्यधिक रूप से प्रभावित किये हुए था ।

 

(4)निजी संपत्ति –

गांव के मुखिया और लिपिक को उत्तराधिकार में प्राप्त अपनी निजी संपत्ति होती थी । इसके अतिरिक्त वह फसल का एक हिस्सा भी प्राप्त करता था जो कि सामान्यतः दफ्तरों और नौकरों को मिलने वाले हिस्से से कहीं ज्यादा होता था । गाँव का मुखिया लिपिक और ब्राह्मण, पुरोहित अधिक आर्थिक पहलकदमी करने की स्थिति में थे । स्वभावतः ही वे समुदाय अन्य सदस्यों की अपेक्षा कहीं अधिक संपत्ति के मालिक बन । जाते थे । इस प्रकार इन्होंने ग्रामीण शक्ति संरचना को काफी प्रभावित किया ।

 

(5) आर्थिक स्थिति –

धीरे-धीरे ग्रामीण परिवारों ने अपनी आर्थिक स्थिति को ठोस करने के लिए फालतू समय में काम करना आरम्भ किया फलस्वरूप अलग-अलग परिवारों की आर्थिक स्थिति में अंतर आने लगा और समुदायों के धनी लोग अपनी अतिरिक्त पैदावार को बाजार में बेचने की स्थिति में आ गये । प्रारम्भ में वस्तुओं के विनिमय की प्रणाली शुरू हई । बाद में रुपये-पैसे के माध्यम से विनिमय होने लगा।

 

(6)आर्थिक शक्ति संरचना तथा परिवर्तन –

इस प्रकार आर्थिक शक्ति संरचना में परिवर्तन हुआ । इसके साथ-साथ ही जनता के सामाजिक रीति-रिवाजों, धार्मिक मान्यताओं, नैतिकता और दार्शनिक दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आये । इन सब ने ग्रामीण शक्ति संरचना को प्रभावित किया ।

See also  संस्कृतिकरण और पश्चिमीकरण की संकल्पनाओं की व्याख्या

 

(7)जाति संगठन –

जाति संगठन भी ग्रामीण शक्ति की संरचना को प्रभावित करता है । जाति संगठन ग्रामीण सामाजिक संगठन का महत्वपूर्ण अंग है । जाति संगठन के सामन्ती जागीरदारों के साथ मिल जाने से एक विशेष प्रकार की शक्ति संरचना का विकास हुआ है।

 

(8)ग्राम पंचायतों का निर्माण –

कुछ समय पश्चात गाँवों में औपचारिक रूप में ग्राम पंचायतों का निर्माण किया गया, लेकिन राज्य द्वारा औपचारिक पंचायतों का निर्माण करने से पूर्व इन पंचायतों का गठन जाति पंचायतों  के प्रतिनिधियों द्वारा किया गया। ये ग्राम पंचायते जमीदारों के एकाधिकार में गठित हुथी। इन्होंने काफी समय तक ग्रामीण शक्ति संरचना को प्रभावित किया।

 

(9) ग्रामीण शक्ति के परम्परागत रूप का पतन-

स्वतंत्रता के बाद देश में जागृति पैदा हुई। जमीदारी का अंत हुआ। भारत के गाँव जो सदियों तथा राष्ट्रीय जीवन की मुख्य धारा से अलग हो गये थे । उनके लिए आजादी के थोड़े समय बाद ही ग्राम विकास का एक व्यापक कार्यक्रम शुरू किया गया । जिससे ग्रामीण में खुद करने अपनी उन्नति के लिए काम करने और खेती बाड़ी, स्वास्थ्य, सफाई, शिक्षा, बनाने और ग्राम जीवन के अन्य अंगों को सुधारने तथा आपस में सहयोग से काम की भावना जाग्रत हुई । पंचायती राज के श्री गणेश से परिवर्तन की प्रक्रिया तेज सर्वप्रथम पंचों के पदों में परिवर्तन हुआ । पहले ग्रामों में उच्च वर्ग का महत्त्व था । पंच का पद पैतृक होता था । स्त्रियों को पंचायत में कोई स्थान नहीं था । वर्तमान युग में पंचायतों निर्वाचन ग्राम सभायें करती हैं । गाँव के सभी वयस्क व्यक्ति इन ग्राम सभाओं के सदस्य है । अब पंचायत में पंच निर्वाचन के द्वारा चुने जाते हैं । सभी वयस्क स्त्री एवं पुरुषों को देने का अधिकार है । अब धनी तथा उच्च वर्ग का कोई विशेष महत्व नहीं रहा। प्राचीन ग्रामीण शक्ति संरचना में परिवर्तन हो रहा है तथा सर्वथा नवीन ग्रामीण शक्ति संरचना के प्रतिमानों का विराम हो रहा है।

 

 

 

..

कृषक समाज की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए

 

 

Disclaimer -- Hindiguider.com does not own this book, PDF Materials, Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet or created by HindiGuider.com. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: 24Hindiguider@gmail.com

Leave a Reply