समूह गत्यात्मकता

 समूह गतिकी या समूह गत्यात्मकता – कूट लेविन, अर्थ, कारक तथा विधियाँ | Group Dynamics in Hindi

समूह गतिकी या समूह गत्यात्मकता (Group Dynamics) :

व्यक्ति जब समूह में होता है, तो उसका व्यवहार उसके व्यक्तिगत व्यवहार से भिन्न होता है। समूह में सभी व्यक्ति एक साथ मिलकर सोचते, अनुभव और व्यवहार करते हैं, लेकिन समह का सम्मिलित रूप से सोचना, अनुभव करना और व्यवहार करना समूह के सदस्यों के व्यक्तिगत रूप से सोचने, अनुभव करने व व्यवहार करने के ढंग से बिल्कुल भिन्न होता है। जिस प्रकार व्यक्ति के व्यवहार में ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्ष होते हैं, उसी प्रकार समह के व्यवहार में भी ये तीनों पक्ष मिलते हैं, जैसे, अकस्मात सड़क दुर्घटना पर एकत्रित भीड़।

समूह के द्वारा सर्वप्रथम यह जानने का प्रयत्न किया जाता है कि क्या हुआ ? कैसे हुआ ? यह भीड़ के व्यवहार का ज्ञानात्मक पक्ष है। तदुपरान्त बस के चालक के प्रति भीड़ समूह में क्रोध का संवेग तथा हताहत बालक के प्रति स्नेह तथा सहानुभूति के भाव पैदा होते हैं। यह भीड़ के व्यवहार का भावात्मक पक्ष है । इसके बाद बस चालक को डॉटना, मारना-पीटना तथा घायल व्यक्ति को चिकित्सालय ले जाने में भीड़ के व्यवहार का क्रियात्मक पक्ष परिलक्षित होता है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि व्यक्ति अपने को भुलाकर भीड़ की सदस्यता के दौरान समूह की मनोवृत्तियों का ही अनुसरण करता है । समूह गत्यात्मकता का प्रारम्भ संयुक्त राज्य अमेरिका में सन् 1930 में हुआ। कूट लेविन ने इसे सर्वप्रथम यह नाम दिया।

 

समूह गत्यात्मकता का अर्थ (Meaning of Group Dynamics) :

मैकाइवर ने समूह का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा, ‘समूह से हमारा तात्पर्य मानवों के ऐसे एकत्रीकरण से है जिसमें वे एक-दूसरे के साथ सामाजिक सम्बन्धों के अन्तर्गत रहते हैं।’

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विद्यालय में भी व्यक्ति समूह के रूप में व्यवहार करते हैं। अध्यापक की प्रत्येक क्रिया से कोई न कोई प्रक्रिया शुरू होती है, यह उसकी गत्यात्मकता का परिचायक है । इस गत्यात्मकता का प्रभाव विद्यार्थियों के बौद्धिक, सांवेगिक एवं सामाजिक विकास पर पड़ता है । इसके अलावा अध्यापक एवं छात्रों की अन्तःक्रिया, विषय-सम्प्रेषण और अधिगम स्तर भी प्रभावित होते हैं।

समूह गत्यात्मकता का अर्थ कक्षागत स्थिति में होने वाली समस्त अन्तःक्रियाओं के अध्ययन से होता है जिनमें अध्यापक तथा छात्र समूह दोनों ही सक्रिय रहते हैं। गत्यात्मकता (Dynamics) शब्द यूनानी भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है-‘शक्ति’, अतः समूह गत्यात्मकता का अर्थ समूह में कार्यरत शक्तियों से होता है।

गुड के शब्दकोष के अनुसार, “समूह गत्यात्मकता का प्रयोग उन अन्तःक्रियात्मक मनोवैज्ञानिक सम्बन्धों के लिए किया जाता है जिनमें समूह के सदस्य समान, उभयनिष्ठ, अनुभूतियों को विकसित करते हैं, जो कि समान साझे, अनुभवों तथा भावनाओं पर आधारित होते हैं। ये परस्पर प्रेरक सम्बन्ध ‘समूह गत्यात्मकता’ के रूप में वर्णित किये जाते हैं।”

गत्यात्मकता का प्रभाव हमें कक्षा स्थिति में शिक्षक तथा छात्र दोनों के व्यवहार से ज्ञात होता है, क्योंकि कोई भी शिक्षक हमेशा एक जैसा ही व्यवहार करता हो, यह आवश्यक नहीं, क्योंकि शिक्षक का व्यवहार समय, विषयवस एवं परिस्थिति के अनुसार परिवर्तित होता रहता है तथा यही स्थिति छात्रों पर भी लागू होती है ।

समूह गत्यात्मकता को प्रभावित करने वाले कारक :

1. शिक्षक का व्यक्तित्व,

2. शिक्षक-छात्र सम्बन्ध,

3. छात्र-छात्र एवं छात्र-शिक्षक अन्तःक्रिया,

4. कक्षा कक्ष का वातावरण (भौतिक, सामाजिक, संवेगात्मक आदि),

5. विषय-वस्तु,

6. उद्देश्यों की स्पष्टता,

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7. छात्र समूह का सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्तर,

8. छात्रों को उत्तरदायित्व सौंपना; एवं

9. शिक्षक का व्यवहार (विश्वासोत्पादक, स्वेच्छाचारी, जनतान्त्रिक, आधिकारिक, निषेधात्मक और सकारात्मक)।

 

समूह गत्यात्मकता को प्रभावी बनाने वाली विधियाँ :

1. कक्षा में छात्रों के मध्य अन्तःक्रिया हेतु उन्हें सीधी पंक्तियों में बैठाने के स्थान पर गोलाकार स्थिति में बैठाया जाना चाहिए ।

2. शिक्षक छात्र समूह में से प्रतिभाशाली छात्रों की खोज कर शिक्षण हेतु वांछित वातावरण उत्पन्न करे।

3. शिक्षक छात्रों के गुणों को पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित तथा पुनर्बलित करे।

4. छात्रों को स्वतन्त्र अभिव्यक्ति एवं समूह चर्चाओं का अवसर देना।

5. छात्रों को बौद्धिक स्तर के अनुसार छोटे समूहों में बॉटकर एक-दूसरे की सहायता व सहयोग प्राप्त करना सिखाना।।

6. शिक्षण के साथ-साथ विद्यालय में पाठ्य-सहगामी क्रियाएँ आयोजित की जाएँ, जैसे, शारीरिक, सांस्कृतिक तथा साहित्यिक गतिविधियाँ।

7. छात्रों में नेतृत्व के साथ नैतिक गुणों का विकास भी किया जाये।

8. छात्रों को वर्तमान परिस्थितियों एवं समस्याओं के साथ भविष्य में सम्भावित समस्याओं से अवगत करवाया जाये।

9. छात्रों में समूह-भावना का विकास किया जाये।

 

‘समूह गत्यात्मकता’ से शिक्षक को छात्रों में सामूहिक चेतना का विकास करने, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय एकता की भावना, देश-प्रेम, सेवा, सहयोग, सहानुभूति जैसे गुणों का विकास करने में सहायता मिलती है।

 

 

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