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इकाई पाठ योजना क्या होती है, इकाई योजना के प्रकार,इकाई योजना के सोपान

इस पोस्ट में हम लोग इकाई पाठ योजना, Unit Plan in hindi, इकाई पाठ योजना के प्रकार, इकाई पाठ योजना के सोपान, Steps of the Unit Plan in hindi, इकाई पाठ योजना की विशेषताएँ, Characteristics of Unit Plan in hindi, इकाई पाठ योजना का प्रारूप, इकाई पाठ योजना की सीमाएँ , Limitations of Unit plan in hindi, आदि विषयों पर चर्चा करेगें।

 इकाई पाठ योजना (Unit Plan)

शिक्षण हेतु बनाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं में से इकाई योजना अल्पकालिक योजना की श्रेणी में आती है। इसमें ऐसे प्रकरणों तथा अनुभवों को रखा जाता है जो परस्पर सम्बन्धित हों, जिन्हें एक साथ पढ़ाया जा सके, जैसे-‘व्यक्तित्व’ एक इकाई है, इसमें व्यक्तित्व का विभिन्न दृष्टिकोणों से अर्थ एवं परिभाषा, व्यक्तित्व के आयाम, व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारण, व्यक्तित्व मापन की विधियाँ आदि प्रकरण आते हैं। इस प्रकार इकाई पाठ्यक्रम का एक ऐसा एकीकृत अंश होता है जिसमें स्थित विभिन्न प्रकरण परस्पर सम्बन्धित होते हैं।

‘इकाई’ की धारणा को शिक्षा क्षेत्र में लाने का श्रेय हरबार्ट को जाता है। उन्होंने विषयवस्तु के पारस्परिक सम्बन्धों तथा एकीकरण पर बल दिया। इसका प्रयोग लगभग 1920 ई.से प्रारम्भ हुआ। शनैः-शनैः इकाई का अर्थ किसी समस्या योजना से सम्बन्धित सीखने वाली क्रियाओं की समग्रता के रूप में स्वीकार किया जाने लगा।

आधुनिक युग में ‘यूनिट’ अथवा ‘इकाई’ का प्रयोग पाठ्यक्रम निर्माण तथा शिक्षण पद्धति के रूप में किया जा रहा है।

रिस्क-“इकाई में पूर्वनियोजित अनुभव और क्रियाएँ निहित हैं और वे किसी समस्या, परिस्थिति, रुचि या वांछित परिणाम पर आधारित होती हैं।”

प्रेस्टॉन-“एक जैसी वस्तुओं का समूह, जो कि अधिकांश द्वारा बोधगम्य हो; इकाई कहलाती है।”

इकाई पाठ योजना के प्रकार

इकाई योजनाएँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं- विषयवस्तु की इकाई योजना तथा अनुभव की इकाई योजना।

विषयवस्तु की इकाई योजना के तीन भेद हैं :

(1) पाठ पर आधारित इकाई योजना,

(2) सूत्र या सिद्धान्त पर आधारित इकाई योजना,

(3) मौरीसन इकाई योजना।

 

अनुभव की इकाई योजना के भी तीन प्रकार हैं : 

(1) उद्देश्य आधारित,

(2) रुचि आधारित,

(3) आवश्यकता आधारित ।

 

इकाई पाठ योजना के सोपान (Steps of the Unit Plan)

इकाई योजना में किन सोपानों को रखा जाये, इस विषय में विद्वानों के अलग-अलग मत हैं :

रिस्क ने इकाई योजना में सात सोपानों का वर्णन किया है, जो इस प्रकार हैं :

(i) उद्देश्यों का चयन,

(ii) इकाई खण्डों का विभाजन,

(iii) इकाई खण्डों का विकास-खण्ड के विशिष्ट उद्देश्यों का चयन, प्रत्येक खण्ड के क्षेत्र का निर्धारण, उपयुक्त छात्र-क्रियाओं का चयन,

(iv) इकाई की प्रस्तावना के लिए तैयारी, व्यक्तिगत विभिन्नताओं के लिए व्यवस्था,

(vi) प्रगति का मूल्यांकन,

(vii) सन्दर्भ पुस्तकों तथा शिक्षण सामग्री का चयन ।

 

ग्राम्बस तथा आईवर्सन ने इकाई-योजना के लिए चार सोपान प्रस्तुत किये हैं-

प्रस्तावना, नियोजन, अनुसंधान तथा अवबोध ।

 

 

इकाई पाठ योजना(Unit Plan)

 

इकाईः  भारत में संघीय शासन व्यवस्था

कक्षा:9

कालांश : 7

 

उपइकाई या इकाई का खण्डों में विभाजन :

(अ) संघीय कार्यपालिका :

(i) राष्ट्रपति का पद एवं उसका महत्त्व,

(ii) राष्ट्रपति का निर्वाचन,

(iii) राष्ट्रपति के अधिकार,

(iv) प्रधानमन्त्री एवं मन्त्रिपरिषद् की नियुक्तियाँ एवं उनके कार्य

(v) उपराष्ट्रपति,

(vi) राष्ट्रपति एवं मन्त्रीपरिषद के मध्य सम्बन्ध ।

 

(ब) संघीय व्यवस्थापिका:

(i) लोकसभा,

(ii) राज्यसभा,

(iii) संसद,

(iv) संसद और मन्त्रिपरिषद् के मध्य सम्बन्ध,

(v) राष्ट्रपति और संसद के मध्य सम्बन्ध,

(vi) मन्त्रियों का व्यक्तिगत व सामूहिक उत्तरदायित्व ।

 

(स) संघीय न्यायपालिका:

(i) सर्वोच्च न्यायालय का गठन,

(ii) न्यायाधीश व मुख्य न्यायाधीश की नियुक्तियाँ

(ii) सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न क्षेत्राधिकार।

 

इकाई के सामान्य उद्देश्य :

(क) ज्ञानात्मक उद्देश्य :

छात्र इस इकाई के अध्ययन से निम्न तथ्यों व धारणाओं का ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे :

1. संघीय कार्यपालिका के निर्माणक तत्त्वों का ज्ञान,

2. राष्ट्रपति की निर्वाचन-विधि का ज्ञान,

3. राष्ट्रपति-पद की योग्याताओं एवं कार्यकाल का ज्ञान,

4. राष्ट्रपति के अधिकारों का ज्ञान,

5. मंत्रि-परिषद् के संगठन का ज्ञान,

6. प्रधानमंत्री की नियुक्ति योग्यता कार्यकाल, अधिकार तथा उसकी स्थिति का ज्ञान,

7. मन्त्रि-परिषद् के अधिकारों, कर्तव्यों तथा उसके संसद एवं राष्ट्रपति के पारस्परिक सम्बन्धों का ज्ञान,

8. उपराष्ट्रपति के निर्वाचन कार्यकाल.योग्यता तथा उसके अधिकारों का ज्ञान,

9. राष्ट्रपति पद की आवश्यकता एवं उसके महत्त्व का ज्ञान,

10. लोकसभा की रचना, उसके पदाधिकारियों, कार्य-प्रणाली तथा अधिकारों का ज्ञान,

11. राज्यसभा की रचना, उसके पदाधिकारियों, कार्य-प्रणाली, अधिकार तथा उसकी स्थिति का ज्ञान,

12. संसद के कार्यों एवं अधिकारों का ज्ञान,

13. राष्ट्रपति तथा संसद के पारस्परिक सम्बन्धों का ज्ञान,

14. सर्वोच्च न्यायालय के संगठन एवं उसकी स्थिति का ज्ञान,

15. सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र का ज्ञान

 

(ख) अवबोध (Understanding) :

1. प्रत्येक नागरिक को संघीय शासन-व्यवस्था की जानकारी होनी चाहिए, 

2. स्वतन्त्र राष्ट्र के नागरिक अपने राष्ट्र एवं उसकी सरकार के प्रति कर्त्तव्यनिष्ठ होते हैं,

3. राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च शासक होता है, परन्तु व्यवहार में उसके समस्त अधिकारों का उपयोग प्रधानमंत्री और मंत्रि-परिषद् करते हैं,

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4. राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका होती है,

5. प्रधानमंत्री तथा मंत्रि-परिषद् वास्तविक कार्यपालिका होती है,

6. संसदात्मक शासन-प्रणाली में संसद में सर्वोच्च सत्ता निहित होती है,

7. भारतीय शासन-व्यवस्था संघात्मक है,

8. भारतीय संविधान में स्वतन्त्र न्यायपालिका की व्यवस्था है,

9. सर्वोच्च न्यायालय संविधान का रक्षक एवं व्याख्या करने वाला है,

10. सर्वोच्च न्यायालय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का रक्षक है,

11. मंत्रि-परिषद संसद के प्रति उत्तरदायी होती है और वह उसे अपदस्थ कर सकती।

 

(ग) योग्यताएँ (Abilities) :

1. शासन-व्यवस्था को अपने समाज की उन्नति के योग्य बनाना

2. छात्रों में सार्वजनिक हित की प्रगति में व्यक्तिगत बलिदान के भाव को जागृत करना,

3. अपने शासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए जागरूक रहने के लिए अभ्यस्त बनाना,

4. विरोधी विचारों तथा प्रचार में से सत्य को निकालने के लिए तत्पर रहना।

 

(घ) अभिवृत्ति तथा रुचि (Attitudes & Interests) :

1. उत्तम शासन-व्यवस्था में सहयोग की भावना विकसित करना

2. सच्चा न्याय प्राप्त करने के लिए न्यायपालिका की स्वतन्त्रता की भावना के प्रति रुचि उत्पन्न करना,

3. सार्वजनिक हित के लिए स्वस्थ विरोध की भावना विकसित करना,

4. राष्ट्रीय एकता के विरोधी तत्त्वों- भाषा, साम्प्रदायिकता,प्रान्तीयता, क्षेत्रीयता,जातिवाद। आदि के प्रति जागरूक रखना,

5. जनहितकारी भावनाओं का विकास करना,

6. राष्ट्र की उन्नति के लिए कार्य करने की रुचि उत्पन्न करना,

7. लोकतंत्रात्मक शासन के नियमों का पालन करने में रुचि उत्पन्न करना,

8. न्याय में रुचि उत्पन्न करना।

 

(ङ) प्रयोगात्मक (Application):

1. शासन-व्यवस्था में नागरिकों की हैसियत से सहयोग देंगे ,

2. राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधक तत्त्वों को दूर करने में सहयोग देंगे.

3. देश एवं शासन के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे, 4. राष्ट्र तथा समाज की समृद्धि में सहयोग देंगे,

4. शासन की क्रियाओं को लघ रूप में विद्यालय में संगठित एवं संचालित करेंगे ।। (च) कौशल (Skills):

5.राष्टपति एवं मंन्त्रि-परिषद्, मन्त्रि-परिषद् एवं संसद तथा राष्ट्रपति एवं संसद के पारस्परिक सम्बन्धों को रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित करेंगे,

2. संघीय शासन-व्यवस्था का रेखाचित्र बनायेंगे,

3. संगठनात्मक तथा क्रियात्मक (Functional) चार्ट बनायेंगे।

 

खण्ड के विशिष्ट उद्देश्य तथा क्षेत्र :

प्रत्येक इकाई-खण्ड के पृथक-पृथक विशिष्ट उद्देश्यों का निर्धारण किया जायेगा। इसके बाद प्रत्येक खण्ड में कितनी पाठ्य-वस्तु प्रस्तुत की जानी है, इसका निर्धारण होगा।

 

अध्यापन-अध्ययन परिस्थितियाँ (Teaching-Learning Situations) :

इसके अन्तर्गत अध्यापक तथा छात्र-क्रियाओं को निर्धारित किया जायेगा। यहाँ इस सम्पूर्ण इकाई से सम्बन्धित कुछ क्रियाओं को निम्नलिखित शीर्षकों में दिया जा रहा है :

(अ) अध्यापक कार्य (Teacher Activities) :

1. शिक्षक, छात्रों के पूर्वज्ञान के आधार पर उतरेरणात्मक ढंग से पाठ की प्रस्तावना करेगा और खण्ड के विशिष्ट उद्देश्यों को स्पष्ट करेगा,

2. शिक्षक, छात्रों के सहयोग से खण्ड का विकास करेगा। खण्ड का विकास विभिन्न शिक्षण-पद्धतियों एवं प्रविधियों से किया जायेगा

3. शिक्षक अपने कथन द्वारा नवीन तथ्यों को छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करेगा,

4. वह खण्डों से सम्बन्धित उपयुक्त सामग्री कक्षा के समक्ष प्रस्तुत करेगा,

5. खण्ड के विकास के साथ-साथ शिक्षक प्रमुख बातों को श्यामपट्ट पर अंकित करेगा,

6. शिक्षक, श्यामपट्ट पर संघठनात्मक चार्ट बनाकर विषय-वस्तु को स्पष्ट करेगा,

7. शिक्षक, छात्रों द्वारा लिखे गये श्यामपट्ट कार्य का निरीक्षण करेगा,

8. शिक्षक, छात्रों को घर पर करने के लिए गृह-कार्य देगा तथा समय-समय पर इसकी जाँच करेगा और आवश्यक सुझाव देगा,

9. शिक्षक कमजोर छात्रों को अलग से समय देकर उन्हें सामान्य स्तर पर लाने का प्रयास करेगा।

(ब) छात्र-क्रियायें (Student activities):

1. छात्र, शिक्षक द्वारा पूछे गये प्रश्नों का सम्भावित उत्तर देंगे,

2. छात्र खण्ड-सम्बन्धी ज्ञान को ग्रहण करेंगे,

3. छात्र,शिक्षक द्वारा प्रस्तुत विषय-वस्तु को समझकर खण्ड के विकास में सहयोग कक्षा में बताये गये चार्ट व रेखाचित्र तैयार करेंगे,

5. पार्लियामेन्ट का संगठन एवं संचालन करेंगे।

6. कक्षा में राष्ट्रपति की निर्वाचन विधि को व्यवहार में लायेंगे।

7. छात्र, शिक्षक द्वारा दिये गये श्यामपट्ट-कार्य को अपनी पुस्तिकाओं में लिखेंगे।

8. छात्र दिये गये गृह-कार्य को घर से करके लायेंगे।

 

मूल्यांकन (Evaluation) :

छात्रों की प्रगति का विभिन्न प्रकार से मल्यांकन किया जायेगा :

 

(अ) निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions):

1. राष्ट्रपति पद की आवश्यकता एवं महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।

2. राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रणाली पर प्रकाश डालिए।

3. राष्ट्रपति के अधिकारों का वर्णन कीजिए।

4. प्रधानमन्त्री की नियुक्ति, कार्यकाल तथा उसके अधिकारों के विषय में आप क्या जानते हैं ? स्पष्ट कीजिए।

5. मन्त्रि-परिषद् के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।

6. संसद के संगठन एवं अधिकारों का उल्लेख कीजिए।

7. लोकसभा तथा राज्यसभा के अधिकारों एवं शक्तियों की तुलना कीजिए।

8. उपराष्ट्रपति के निर्वाचन, कार्यकाल तथा उसकी स्थिति को स्पष्ट कीजिए।

9. सर्वोच्च न्यायालय के संगठन एवं अधिकार-क्षेत्र के विषय में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में बताइये।

 

(ब) लघु-उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions) :

(i) निर्वाचक मण्डल में कौन-कौन होते हैं ?

(ii) राष्ट्रपति के तीन अधिकार

(iii) राष्ट्रपति-पद की तीन योग्यताएँ

(iv) संसद के सदस्यों के मत का मान किस प्रकार निर्धारित होता है ?

(v) प्रधानमन्त्री के तीन अधिकार

(vi) संसद के तीन अधिकार

(vii) सर्वोच्च न्यायालय के कुल न्यायाधीश

(viii) सर्वोच्च न्यायालय के तीन अधिकार बताइये।

 

(स) वस्तुनिष्ठ (Objective Type Questions):

1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

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(i) भारत के मुख्य न्यायाधीश पद पर श्री……..सुशोभित हैं।

(ii) आजकल लोकसभा के अध्यक्ष……..हैं।

(iii) मंत्रि-परिषद् सामूहिक रूप से………के प्रति उत्तरदायी हैं।

(iv) आजकल सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री………हैं।

(v) सर्वोच्च न्यायालय………का रक्षक एवं उसकी व्याख्या करता है।

(vi) राष्ट्रपति………के बहुमत दल के नेता को………नियुक्त करता है। 

 

2. प्रत्येक प्रश्न के चार सम्भावित उत्तर दिये गये हैं, इनमें से केवल एक उत्तर सहीहै. सही उत्तर पर (सही) का निशान लगाओ :

(क) भारत के राष्ट्रपति हैं :

(i) भैरोंसिंह शेखावत

(ii) डॉ. के.आर. नारायणन

(ii) डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

(iv) डॉ. शंकरदयाल शर्मा

 

(ख) आजकल प्रधानमंत्री पद पर सुशोभित हैं :

(i) अटल बिहारी वाजपेयी

(ii) डॉ. मनमोहन सिंह

(iii) श्री विश्वनाथ प्रतापसिंह

(iv) पी.वी. नरसिम्हाराव

(ग) आजकल भारत के वित्तमंत्री हैं :

(i) पी. चिदम्बरम्

(ii) श्री इन्द्रकुमार गुजराल

(iii) यशवन्त सिन्हा

(iv) डॉ. मनमोहन सिंह

 

3. नीचे कुछ कथन दिये गये हैं, इनमें से जो सत्य हों, उनके समक्ष सही तथा असत्य के समक्ष क्रॉस का निशान लगाइये :

(i) राष्ट्रपति के निर्वाचन में संसद तथा राज्यों की विधानसभाओं के सभी सदस्य भाग लेते हैं।

(ii) राष्ट्रपति भारतीय सेना का सर्वोच्च कमाण्डर होता है।

(iii) राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति स्वेच्छानुसार करता है।

(iv) प्रधानमंत्री बनने के लिए लोकसभा के बहुमत दल का नेता होना आवश्यक है।

(v) लोकसभा के सदस्यों को राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा चुना जाता है।

(vi) राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है।

(vii) धन विधेयक संसद के दोनों सदनों में से किसी भी सदन में प्रस्तुत किये जा सकते हैं।

(viii) मन्त्रियों को संसद के सदस्यों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देना पड़ता है।

(ix) सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है।

(x) सर्वोच्च न्यायालय में बीस हजार से अधिक धनराशि की अपील की जा सकती हैं।

(xi) संसद राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाकर उसे अपने पद से हटा सकती है।

(xii) राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को राज्यों के राज्यपालों की सलाह पर उसके पद से हटा सकता है।

(xiii) राष्ट्रपति राजदूतों की नियुक्ति करते समय सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह लेने के लिए बाध्य है।

(xiv) प्रधानमन्त्री किसी भी केन्द्रीय मन्त्री को मतभेद होने पर हटा सकता है।

(xv) केन्द्रीय मन्त्रि-परिषद् के सभी मन्त्री सामूहिक रूप से संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

 

(द) निरीक्षण तथा प्रयोगात्मक कार्य :

शिक्षक, छात्रों के व्यवहारों का निरीक्षण करके उनकी उत्तरादायित्व की भावना, सहयोग, चारित्रिक गणों आदि की जाँच करेगा, साथ ही उनके प्रयोगात्मक कार्यों की जाँच करके उनके विभिन्न कौशलों का पता लगायेगा।

 

शिक्षण-सामग्री तथा सन्दर्भ पुस्तकें :

इस इकाई के लिए शिक्षक संगठनात्मक चार्ट, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री तथा मुख्य न्यायाधीश के चित्र, भारत का मानचित्र आदि का प्रयोग करेगा; साथ ही वह निम्नलिखित संदर्भ पुस्तकों की सूची प्रदान करेगा :

1. ‘द इन्डियन कॉन्सटीट्यून्ट असेम्बली’ – गुरुमुख निहाल सिंह

2. ‘कमेन्टरी ऑन द कॉन्सटीट्यूशन ऑफ इन्डिया’ – दुर्गादास बसु

3. ‘द कॉन्सटीट्यूशन ऑफ इन्डिया’ – गवर्मेन्ट ऑफ इन्डिया

4. ‘द कॉन्सटीट्यूशन ऑफ इन्डिया’ – वी.एन. शुक्ल

5. ‘आसपेक्ट्स ऑफ इन्डियन कॉन्सटीट्यूशन’ – डॉ. एम.जी. गप्ता

(यह इकाई-योजना पाठक एवं त्यागी की पुस्तक ‘सफल शिक्षण कला’ से ली गई। है, इसके लिए लेखिका उनके प्रति आभार व्यक्त करती है)

 

इकाई पाठ योजना की विशेषताएँ

(Characteristics of Unit Plan)

1. इकाई योजना के द्वारा विषयवस्तु का संगठन भली-भाँति हो जाता है।

2. इसके द्वारा क्रमबद्ध तथा नियोजित शिक्षण सम्भव है।

3. इसमें ज्ञान को पूर्ण इकाई मानकर चला जाता है अतः अधिक प्रभावशाली ढंग से ज्ञान प्राप्त होता है।

4. अध्यापक तथा छात्र की क्रियाएँ पहले ही सुनिश्चित कर दी जाती हैं।

5. इसमें वातावरण को विशेष महत्त्व दिया जाता है, अत: छात्रों में समायोजन की क्षमता का विकास होता है।

6. इसके द्वारा शिक्षण सूत्र ‘पूर्ण से अंश की ओर’ तथा गेस्टाल्ट मनोविज्ञान के सिद्धान्त का अनुसरण किया जाता है।

7. इकाई योजना के निर्माण से शिक्षण के सभी उद्देश्यों को प्राप्त करना सम्भव है।

इकार्ड योजना के सम्बन्ध में वाल्टर पियर्स तथा माइकल लॉर्बर ने कहा, “इकाई योजना अध्यापक” द्वारा पूर्वचिन्तन, कि शिक्षार्थी शिक्षण के अन्तराल में (सामान्यतः उसे 6 सप्ताह) क्या प्राप्त करेंगे तथा कैसे सफलतापूर्वक प्राप्त करेंगे; को प्रदर्शित करती है। इस प्रकार इकाई योजना को अध्यापक की व्यूहरचना माना गया है।

इकाई पाठ योजना की सीमाएँ (Limitations of Unit plan)

 

1. इकाई योजना के अनुसार शिक्षण यन्त्रवत् हो जाता है तथा मौलिकता की समाप्ति हो जाती है।

2. इसे तैयार करना एक कठिन कार्य है। इसके अनुसार पढ़ाने के लिए दक्ष एवं प्रशिक्षित अध्यापकों की आवश्यकता पड़ती है।

3. इसमें सहायक सामग्री के प्रयोग पर अधिक बल दिया जाता है अतः यह अधिक महँगी है।

4. सभी प्रकार के ज्ञानार्जन के लिए यह विधि उपयुक्त नहीं है।

5. इसके द्वारा शिक्षण करने में समय बहुत अधिक लगता है।

 

भारतीय परिस्थितियों में जहाँ समय, स्थान व अध्यापकों की कमी है; इस विधि को नहीं अपनाया जा सकता।

 

 

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