शिक्षा के उद्देश्य- सार्वभौमिक उद्देश्य, विशिष्ट उद्देश्य

शिक्षा के उद्देश्य- सार्वभौमिक उद्देश्य, विशिष्ट उद्देश्य | Aims of Education in Hindi

शिक्षा के उद्देश्यों का वर्गीकरण

शिक्षा के उद्देश्यों का वर्गीकरण करते समय विभिन्न दृष्टिकोणों को ध्यान में रखना पड़ता है। विभिन्न दृष्टिकोणों के अनुसार शिक्षा के उद्देश्यों का वर्गीकरण निम्नानुसार किया जा सकता है। सामान्य और विशिष्ट दष्टिकोण से अगर हम शिक्षा के उद्देश्यों का वर्गीकरण करना चाहें तो उद्देश्यों को दो भागों में विभक्त कर सकते हैं-

(1) सार्वभौमिक उद्देश्य (Universal Aim)

(2) विशिष्ट उद्देश्य (Specific Aim)

 

वैयक्तिक और सामाजिक दृष्टिकोण से शिक्षा के दो प्रकार हैं-

(1) वैयक्तिक उद्देश्य (Individual Aim)

(2) सामाजिक उद्देश्य (Social Aim)

 

वर्तमान भारत की परिस्थितियों, आवश्यकताओं, आकांक्षाओं और मान्यताओं को दृष्टिगत रखते हुए शिक्षा के उद्देश्यों को इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है-

(1) व्यक्ति सम्बन्धी उद्देश्य (Aims relating to Individual)

(2) समाज सम्बन्धी उद्देश्य (Aims relating to Society)

(3) राष्ट्र संबंधी उद्देश्य (Aims relating to Nation)

शिक्षा के सार्वभौमिक उद्देश्य

शिक्षा के वे उद्देश्य जो किसी वर्ग जाति, समुदाय, राष्ट्र या व्यक्ति विशेष का अंश मात्र भी भेदभाव नहीं रखते हुए समस्त मानव जाति के कल्याण एवं उत्थान के लिए निर्धारित किए जाते हैं, उन्हें सार्वभौमिक उद्देश्य कहा जा सकता है। सामान्य, उदार मानवीय गुणों के विकास पर ये उद्देश्य बल देने वाले तथा सभी दर्शनों द्वारा स्वीकार्य होते हैं। इनका आधार दर्शन होता है। इनकी उपयोगिता सभी देशों व सभी समय में होती है। इनमें सार्वभौमिक तत्व निहित होता है। चरित्र विकास, ज्ञानोपार्जन, सांस्कृतिक उन्नयन, आत्मानुभूति आदि ऐसे ही सामान्य या सार्वभौमिक उद्देश हैं।

शिक्षा के विशिष्ट उद्देश्य

किसी समाज या राष्ट्र के सम्मुख विशेष परिस्थिति उत्पन्न होती है, तो उस परिस्थिति के लिए अपने नागरिकों में विशिष्ट योग्यताओं एवं गुणों का विकास करने हुेतु शिक्षा के कुछ विशिष्ट उद्देश्य निर्धारित करने आवश्यक हो। परिस्थितियों एवं कारणों को ध्यान में रखकर निर्धारित किए गए उद्देश्य शिक्षा उद्देश्य कहलाते हैं। उदाहरण के लिए औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े राष्ट्र में तकनीकी शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है। ऐसे देश में शिक्षा का उद्देश्य आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में गति लाना हो सकता है। भारतीय शिक्षा के आदों पर विचार करते हुए कोटा आयोग ने इस उद्देश्य पर बल दिया। इस आयोग ने आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में गति। लाने हेतु विज्ञान की शिक्षा पर विशेष बल दिया और सभी प्रकार के छात्रों के लिए उच्चतर माध्यमिक स्तर तक विज्ञान के अनिवार्य अध्ययन की संस्तुति की।

विशिष्ट उद्देश्यों का क्षेत्र तथा प्रकृति सीमित होती है, इसी कारण ऐसे उद्देश्य लचीले तथा परिवर्तनशील होते हैं, जो देश काल तथा परिस्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं। प्रमुखतः शिक्षा के विशिष्ट उद्देश्यों का निर्धारण समाज/राष्ट्र की भौतिक उन्नति के लिए किया जाता है।

किसी भी समाज तथा राष्ट्र को शिक्षा के उद्देश्यों का एक पक्षीय विकास नहीं करना चाहिए, वरन् अपने नागरिकों को उन्नति के शिखर पर ले जाने के लिए सार्वभौमिक एवं विशिष्ट उद्देश्यों में संतुलन एवं समन्वय बनाए रखना चाहिए, तभी वांछित फल की प्राप्ति हो सकेगी।

शिक्षा के वैयक्तिक उद्देश्य

इस उद्देश्य के समर्थक एवं प्रतिपादक व्यक्ति को समाज में अधिक महत्त्व देते हैं। व्यक्तियों ने ही मिलकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति एवं अपने हितों की रक्षार्थ समाज का निर्माण किया है। व्यक्तियों के योगदान से ही समाज की उन्नति एवं प्रगति हो पाई है। यदि व्यक्ति का विकास होगा तो समाज स्वतः ही विकसित होता हुआ उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा। अतः शिक्षा एवं उसके उद्देश्य इस प्रकार के हों ताकि व्यक्तिगत रुचियो, क्षमताओं, गुणों, अन्तर्निहित शक्तियों एवं विशेषताओं का विकास हो सके। अनेक शिक्षाविदों एवं शिक्षाशास्त्रियों ने इस उद्देश्य का प्रबल समर्थन किया है, जिनमें से प्रमुखतः रूसो (Rousseau), पेस्टालॉजी (Pestalozzin) फ्रोबेल (Frobel) तथा नना (Nunn) का नाम उल्लेखनीय है। इस उद्देश्य को स्पष्ट करने के लिए हमें इसके संकुचित और व्यापक अर्थों को भली-भाँति समझ लेना चाहिए।

See also  मुक्त/खुला विश्वविद्यालय का अर्थ, उद्देश्य तथा लाभ | इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय | Open University in Hindi

शिक्षा के वैयक्तिक उद्देश्य का संकुचित अर्थ

वैयक्तिक उद्देश्य का संकुचित अर्थ बालक की व्यक्तिगत शक्तियों को विकासत करने तक सीमित रहता है। बालक की व्यक्तिगत शक्तियों में आत्माभिव्यक्ति, बालक की अन्तर्निहित शक्तियों का सर्वांगीण विकास तथा उसका स्वाभाविक विकास प्रमुख माने जाते हैं। इस आधार पर यह उद्देश्य प्रकृतिवादी दर्शन पर आधारित दृष्टिगोचर होता है। वैयक्तिक उद्देश्य का सम्बन्ध व्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता जनतंत्र का आधार है और इसके अभाव में लोकतंत्रीय जीवन पद्धति तथा शासन प्रणाली सम्भव नहीं। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय है और उसमें यह योग्यता है कि अपनी सामर्थ्य के अनुसार वह सामाजिक प्रगति में योगदान कर सके।

रूसो ने बालक की सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था उसकी रुचियों, रुझानों, क्षमताओं एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किए जाने पर बल दिया है। इस उद्देश्य पर सर्वाधिक बल देने वालों में शिक्षाशास्त्री टी.पी. नन प्रमुख हैं। नन का मत है कि संसार की प्रत्येक अच्छी वस्तु स्वतंत्रता से कार्य करने वाले नागरिक ही लाते रहे हैं। शिक्षा भी इसका अपवाद नहीं है। व्यक्ति की स्वतंत्रता तथा उसके व्यक्तित्व को निखारने का दायित्व शिक्षा का है। नन ने लिखा है-

“मानव जगत में यदि कुछ भी अच्छाई आ सकती है तो वह वैयक्तिक पुरुषों तथा स्त्रियों के स्वतंत्र प्रयासों के द्वारा ही आ सकती है। अतः शिक्षा का संगठन इस सत्य के आधार पर ही होना चाहिए।”

नन के विचार से आत्माभिव्यक्ति का उद्देश्य प्राकृतिक सिद्धांतों पर आधारित है। इस सम्बन्ध में उनका कहना है कि भू-लोक का प्रत्येक जीव स्वयं के विकास के लिए सदैव प्रयत्नशील रहा है और रहेगा। यह उसका प्राकृतिक स्वभाव है। मनुष्य जो समस्त जीव-जगत का एक श्रेष्ठ प्रणीं माना गया है, स्वभाव से विकासशील प्राणी है। उसमें ‘स्व’ के विकास की प्रवत्ति है। उसे ‘स्व’ के विकास के उचित अवसर प्रदान किए जायें जो प्रकृति के सिद्धांतों के अनुरूप हों। यदि उसके सम्मुख विपरीत प्रवृत्तियाँ उपस्थित की गई या सामाजिक नियमों का बंधन उस पर थोपा गया तो उसकी स्वाभाविक एवं जन्मजात क्षमताएँ तथा आकांक्षाएँ कुंठित हो जाएँगी, जो व्यक्ति एवं समाज दोनों के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती हैं। अतः प्रत्येक माता-पिता, समाज या राज्य का कर्तव्य है कि वह बालक की शिक्षा की व्यवस्था इस प्रकार करे जिससे उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व का सन्तुलित एवं समुचित विकास स्वाभाविक रूप से हो सके। इस प्रकार संकुचित अर्थ में शिक्षा के वैयक्तिक उद्देश्य का तात्पर्य आत्माभिव्यक्ति (Self Expression) अथवा प्राकृतिक विकास (Natural Development) है।

शिक्षा का वैयक्तिक उद्देश्य का व्यापक अर्थ

व्यापक अर्थ में शिक्षा का वैयक्तिक उद्देश्य आत्माभिव्यक्ति के स्थान पर आत्मानुभूति के विकास का समर्थन करता है। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण में प्रत्येक बालक व्यक्तिगत रूप से एक-दूसरे से भिन्न होता है। यह भिन्नता उसकी रुचियों, शक्तियों, आकांक्षाओं, विचारों तथा कार्य-क्षमताओं में तो होती ही है, साथ ही वह शारीरिक, मानसिक संवेगात्मक तथा सामाजिक दृष्टि से भी भिन्न होता है। कोई भी दो बालक किसी भी दृष्टि से समान हो ही नहीं सकते। इस व्यक्तिगत भिन्नता को ध्यान में रखकर प्रत्येक बालक के लिए समान पाठ्यक्रम बनाकर समान शिक्षा प्रदान करना अमनोवैज्ञानिक है। इस प्रकार की शिक्षा से बालकों का समुचित विकास अवरुद्ध हो सकता है। अतः शिक्षा की व्यवस्था बालकों की भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं, रुचियों तथा योग्यताओं एवं समाज के कल्याण को ध्यान में रखते हुए इस प्रकार की जानी चाहिए जिससे बालक ‘स्व’ विकास करता हुआ उपयोगी सुनागरिक के रूप में विकसित होकर समाज के विभिन्न रूप से भाग ले सके तथा अपना भार स्वयं वहन कर सके, जिससे व्यक्ति एवं दोनों का कल्याण संभव हो। नन ने भी इसी विचार की पुष्टि करते हुए लिखा – “शिक्षा बालक को इस प्रकार से सहायता प्रदान करे कि वह समाज अथवा मानवीय जीवन अपनी योग्यतानुसार मौलिक योगदान दे सके।”

See also  प्लेटो के विभिन्न विचार- ईश्वर विचार और द्वव्द्व न्याय | Dialectic approaches of Plato in Hindi

मनुष्य सामाजिक प्राणी है। कोई भी व्यक्ति समाज से पृथक रह कर पूर्णता पा नहीं कर सकता। वह समाज का एक अभिन्न अंग है तथा समाज में रहकर वह समान का प्रतिनिधित्व करता है। इसी बात को स्वीकार करते हुए नन लिखते हैं कि- “शिक्षा का वैयक्तिक उद्देश्य व्यक्ति के उसके साथियों के प्रति उत्तरदायित्वों को कम नहीं करता, क्योंकि व्यक्ति का विकास समाज में ही रह कर होता है।”

इस प्रकार व्यापक अर्थ में शिक्षा के वैयक्तिक उद्देश्य का आशय आत्मानभति या आत्मबोध है। आत्मानुभूति में ‘आत्म’ वह आदर्श ‘आत्म’ है, जिसकी अनुभूति दूसरों की रुचियों को ध्यान में रखकर की जा सकती है। आत्मानुभूति से आत्मा का ज्ञान केवल समाज के माध्यम से ही हो सकता है, इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह सामाजिक हितों को ध्यान में रखते हुए अपना अधिक से अधिक विकास करे तथा समाज को यथाशक्ति मौलिक योगदान दे। नन की विचारधारा का रूसो और यूकेन (Euken) ने समर्थन किया, परन्तु यूकेन ने वैयक्तिकता को जैविकीय अर्थ से मुक्त करते हुए उसे आध्यात्मिक अर्थ प्रदान किया।

यूकेन का कथन है कि “हमारे जीवन का मुख्य कार्य अपने सच्चे स्वरूप को विकसित करना और व्यक्तित्व और आध्यात्मिक व्यक्तित्व के परिवर्तन में इस स्वरूप को निखारना होता है। प्रत्येक व्यक्तित्व के सम्मुख सत्यपूर्ण व्यक्तित्व तथा आध्यात्मिक व्यक्तित्व के निर्माण का कार्य जीवन भर होता रहता है।”

संक्षेप में व्यापक अर्थ में व्यक्तित्व के विकास का अर्थ यह है कि हम अपने कार्या द्वारा हमारे व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करें तथा शिक्षा द्वारा हम अपने व्यक्तित्व को इतना। उच्च स्तर का विकसित कर लें ताकि विश्व की सर्वोच्च सत्ता के साथ एकाकार हो सके।

 

FAQ

प्रश्न – शिक्षा के उद्देश्य कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर- शिक्षा के उद्देश्य को दो भागों में विभक्त कर सकते हैं-

(1) सार्वभौमिक उद्देश्य (Universal Aim)

(2) विशिष्ट उद्देश्य (Specific Aim)

 

प्रश्न –  शिक्षा के सार्वभौमिक उद्देश्य क्या है?

उत्तर- शिक्षा के वे उद्देश्य जो किसी वर्ग जाति, समुदाय, राष्ट्र या व्यक्ति विशेष का अंश मात्र भी भेदभाव नहीं रखते हुए समस्त मानव जाति के कल्याण एवं उत्थान के लिए निर्धारित किए जाते हैं, उन्हें सार्वभौमिक उद्देश्य कहा जा सकता है। 

 

प्रश्न- शिक्षा के विशिष्ट उद्देश्य क्या है?

उत्तर- किसी समाज या राष्ट्र के सम्मुख विशेष परिस्थिति उत्पन्न होती है, तो उस परिस्थिति के लिए अपने नागरिकों में विशिष्ट योग्यताओं एवं गुणों का विकास करने हुेतु शिक्षा के कुछ विशिष्ट उद्देश्य निर्धारित करने आवश्यक हो। परिस्थितियों एवं कारणों को ध्यान में रखकर निर्धारित किए गए उद्देश्य शिक्षा उद्देश्य कहलाते हैं।

 

प्रश्न- शिक्षा के वैयक्तिक उद्देश्य क्या है?

उत्तर- इस उद्देश्य के समर्थक एवं प्रतिपादक व्यक्ति को समाज में अधिक महत्त्व देते हैं। व्यक्तियों ने ही मिलकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति एवं अपने हितों की रक्षार्थ समाज का निर्माण किया है। व्यक्तियों के योगदान से ही समाज की उन्नति एवं प्रगति हो पाई है। यदि व्यक्ति का विकास होगा तो समाज स्वतः ही विकसित होता हुआ उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा।

 

Disclaimer -- Hindiguider.com does not own this book, PDF Materials, Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet or created by HindiGuider.com. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: [email protected]

Leave a Reply