शैक्षिक तकनीकी का अर्थ,परिभाषा एवं विशेषताएँ | Educational Technology

शैक्षिक तकनीकी का अर्थ,परिभाषा एवं विशेषताएँ | Educational Technology

शैक्षिक तकनीकी (Educational Technology)

आज बढ़ते हुए वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रभाव ने मानव का दृष्टिकोण वैज्ञानिक बना दिया है। जिससे उसकी प्रवृत्ति भी वैज्ञानिक बन रही है। समाज ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सार्थकता प्राप्त करने हेतु विज्ञान, तकनीकी सिद्धान्तों एवं निष्कर्षों को मूर्तरूप देना प्रारम्भ कर दिया है। जिस प्रकार आज कागज तकनीकी कपडा तकनीकी आदि अनेक प्रकार की तकनीकों के नाम हम प्रतिदिन सुन रहे हैं, उसी प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में भी एक नई विधा का जन्म हुआ है; जिसे ‘शैक्षिक तकनीकी’ कहा जाता है। ।

शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिकतम शिक्षण मशीनों, रेडियो, दरदर्शन, टेपरिकॉर्डर, ग्रामोफोन, कम्प्यूटर, भाषा प्रयोगशाला, उपग्रहों द्वारा शिक्षण आदि के प्रयोग ने शिक्षा प्रक्रिया का मशीनीकरण कर दिया है। इनके प्रयोग से एक प्रभावशाली शिक्षक छात्रों के बड़े से बड़े समूह को अपने ज्ञान और कौशल से लाभान्वित करा सकता है। इस प्रकार शैक्षिक तकनीकी एक विज्ञान है, जिसके आधार पर निर्धारित शैक्षिक लक्ष्यों की अधिकतम प्राप्ति के लिए विधियों तथा प्रविधियों का विकास तथा निर्माण किया जाता है। ‘शैक्षिक तकनीकी’ शिक्षा को तकनीकी के करीब लाने का प्रयास है। वस्तुत: शिक्षा तकनीकी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-शिक्षा और तकनीकी। शैक्षिक तकनीकी के अर्थ पर विचार करने से पूर्व शिक्षा और तकनीकी के अलग-अलग अर्थों को समझना आवश्यक है।

‘शिक्षा’ का विस्तृत अर्थ शिक्षा सिद्धान्त’ की विभिन्न पुस्तकों में विस्तार से दिया। गया है, तथापि यहाँ संक्षेप में शिक्षा का अर्थ प्रस्तुत किया जा रहा है।

शिक्षा का स्वरूप (Nature of Education):

शिक्षा मानव जीवन को सभ्य व सुसंस्कृत बनाती है। शिक्षा ही मानव जीवन का स्पन्दन है, शिक्षा ही गति है, शिक्षा ही विकास है, शिक्षा ही जीवन शक्ति है। यह समाज के विभिन्न वर्गों के लिए, विभिन्न आयु के लोगों के लिए एक विशेष सहारा प्रदान करती है। डायोगिनीज ने इसके महत्त्व को स्पष्ट करते हुए लिखा है, “शिक्षा युवकों के लिए एक शानदार सन्तुलन है, वृद्धों के लिए बड़ी संतोषदायी है, निर्धनों का धन है और धनवानों का आभूषण है।”

शिक्षा का शाब्दिक अर्थ- ‘शिक्षा’ शब्द अंग्रेजी भाषा के ‘एजूकेशन’ (Education) शब्द का हिन्दी अनुवाद है। इस शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘एडूकेटम’ (Educatum) शब्द से हुई है। यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-‘ई’ (E) तथा ‘ड्यूको’ (Duco)। ‘ई’ (E) का अर्थ है-अन्दर से तथा ‘ड्यूको’ (Duco) का अर्थ है-आगे बढ़ाना अथवा विकास करना। इस प्रकार ‘एडूकेटम’ शब्द का अर्थ बालक की जन्मजात शक्तियों को अन्दर से बाहर की ओर विकसित करना है।

शिक्षा का संकचित अर्थ- प्रायः शिक्षा का संकचित अर्थ ग्रहण किया जाता है। इसका आशय विद्यालय की चारदीवारी के भीतर दी से है। जे.एस. मैकेन्जी के शब्दों में, “संकुचित अर्थ में शिक्षा का अर्थ के विकास और सधार के लिए चेतनापूर्वक किये गये प्रयासों से लिया ।

शिक्षा का व्यापक अर्थ- व्यापक अर्थ में शिक्षा एक जीवनपर्यन्त प्रक्रिया है। डिम्बल के अनुसार, “शिक्षा के अन्तर्गत व सभी अनुभव आ जाते है। जो व्यक्ति को जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रभावित करते हैं।” बालक जितने भी व्यक्तियों में में आता है, जितने भी स्थानों पर जाता है, जितने भी दृश्य देखता है, जितने भी की सुरक्षा करता है, जितने भी कार्यों को सम्पन्न करता है, सभी से वह कुछ न कर ग्रहण करता है।

शिक्षा का विश्लेषणात्मक अर्थ- विश्लेषणात्मक अर्थ के अनुसार शिक्षा पर गतिशील प्रक्रिया है, जो बालक के सर्वांगीण विकास में सहयोग देती है। एडम्स महोदय के अनुसार, शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी दो केन्द्रबिन्ट है। जॉन डीवी के अनुसार, शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है, जिसके तीन अंग-शिक्षक, शिक्षार्थी । तथा समाज अथवा पाठ्यक्रम हैं।

शिक्षा का वास्तविक अर्थ- वास्तविक अर्थ में शिक्षा संकुचित अथवा व्यापक दोनों अर्थों का समन्वय है, जो चेतन अथवा अचेतन रूप से विद्यार्थी की व्यक्तिगत रुचियों, अभिवृत्तियों, क्षमताओं, योग्यताओं तथा सामाजिक आदर्शों एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुसार स्वतंत्रता प्रदान करके, उनका सर्वांगीण विकास करती है।

अतः शिक्षा विकास का वह क्रम है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने को शैशवावस्था से परिपक्वावस्था तथा आवश्यकतानुसार, भौतिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के अनुकूल बना लेता है।

तकनीकी का अर्थ-

औपिश के अनुसार, “तकनीकी विज्ञान का कला में प्रयोग है।” इस प्रकार तकनीकी का आधार विज्ञान है तथा इसका कार्य प्रयोगात्मक कला का विकास करना है। विज्ञान उस विशिष्ट ज्ञान को कहते हैं, जो किसी वस्तु का क्रमबद्ध ज्ञान इस प्रकार करवाता है, जिसे मानव स्वयं परीक्षण तथा अनुभव द्वारा प्राप्त करता है। विज्ञान ने रचनात्मकता तथा निर्माण को जितना अधिक बढावा दिया है, वह सब तकनीकी के माध्यम से ही सम्भव हआ है। तकनीकी जहाँ एक ओर नवीन संगठनों, प्रतिमानों एवं अभिकल्पों का निर्माण करती है, वहीं दसरी ओर यह मानव तथा मशीन प्रणाली की क्रिया को भी गठित करती है। विज्ञान तथा तकनीकी दोनों एक-दूसरे से सम्बद्ध हैं। विज्ञान हमें यह बताता है कि किसी वस्तु अथवा सिद्धान्त को क्यों जानना चाहिये तथा तकनीकी इस बात को स्पष्ट करती है कि उस वस्तु तथा सिद्धान्त को कैसे जाना जाये? दूसरे शब्दो में, विज्ञान सैद्धान्तिक पक्ष पर बल देता है, जबकि तकनीकी व्यावहारिक पक्ष पर बल देता है। इसलिये विज्ञान के साथ-साथ तकीनीकी ज्ञान देना अत्यन्त आवश्यक है।

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शैक्षिक तकनीकी का अर्थ-

शैक्षिक तकनीकी में मुख्य दो बिन्दु निहित हैं : (1) शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति कराना (2) शिक्षण की क्रियाओं का यांत्रिकीकरण करना।

शैक्षिक तकनीकी‘ शिक्षण उद्देश्यों को व्यावहारिक रूप देते हए विभिन्न विधियों एवं प्रविधियों को जन्म देती है। यदि उद्देश्यों की प्राप्ति एक प्रकार की विधियों एवं प्रविधियों के प्रयोग से नहीं हो पाती, तब शिक्षण की विधियों एवं प्रविधियों में परिवर्तन कर पुनः उद्देश्य प्राप्ति हेतु प्रयत्न किया जाता है। इस प्रकार शिक्षा तकनीकी शिक्षा-सिद्धान्त, शिक्षा मनोविज्ञान, शिक्षा-दर्शन, शिक्षा-मापन एवं मुल्यांकन आदि की भाँति शिक्षा विषय का एक नया क्षेत्र है। यह माण्टेसरी, किंडरगार्टन, प्रायोजना आदि शिक्षण पद्धतियों की भाँति कोई शिक्षण पद्धति नहा है,वरन यह एक ऐसा विज्ञान है जिसके आधार पर शिक्षा के विशिष्ट उद्देश्यों की अधिकतम प्राप्ति के लिए विभिन्न शिक्षण व्यहरचनाओं का विकास किया जा सकता है। शैक्षिक तकनीकी उचित रूप से निर्मित सीखने की दशाओं को प्रदान करती है। शैक्षिक तकनीकी में तीन प्रक्रियायें निहित होती हैं, वे हैं :-

(1) शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का कार्यात्मक विश्लेषण करना, जिसमें शिक्षक उन सारे तत्त्वों को देखता है, जिन्हें आदा (Input) द्वारा लगाया जाता है तथा जो प्रदा (Output) द्वारा प्रकाश में आते हैं।

(2) आदा (Input) तथा प्रदा (Output) के बीच शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में प्रयोग किये जाने वाले तत्त्वों की अलग अथवा संयुक्त खोज और विश्लेषण करना।

(3) प्राप्त किये गये सीखने के अनुभवों को अनुसन्धान के परिणामों के रूप में प्रस्तुत करना।

इस प्रकार शैक्षिक तकनीकी परम्परागत शिक्षण कला के विचार को नया रूप प्रस्तुत करते हुए ऐसी व्यावहारिक तकनीकी है, जो शैक्षिक प्रभावों को उन सभी प्रतिकारकों द्वारा नियन्त्रित करती है जिनका प्रयोग शिक्षण के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

शैक्षिक तकनीकी ने शिक्षण की क्रियाओं का यान्त्रिकीकरण करना प्रारम्भ कर दिया। है, जैसे-जैसे वैज्ञानिक युग में मशीनों का आविष्कार हुआ, वैसे-वैसे उनका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में भी किया जाने लगा। इन मशीनों का शिक्षा के क्षेत्र में उपयोग मुख्यत: तीन रूपों में दृष्टिगत होता है :

(अ) ज्ञान से संचित करना –

वैज्ञानिक युग में छपाई मशीनों का आविष्कार हुआ, इससे पूर्व प्रत्येक विषय की सामग्री को संचित कर सुरक्षित रूप से रखना कठिन था। अधिकांश ज्ञान कंठस्थ ही करवाया जाता था, परन्तु मशीनों के प्रयोग से ज्ञान को पुस्तक का रूप प्रदान किया गया तथा पुस्तकालयों में सुरक्षित रखा जाने लगा। टेपरिकॉर्डर, वीडियो फिल्मस के माध्यम से हावभाव सहित शिक्षक की भाषाशैली व विषयवस्तु को संचित किया जाने लगा है, जिसका उपयोग आवश्यकतानुसार किया जा सकता है।

(ब) ज्ञान का प्रसार करना –

शिक्षण मशीनों, रेडियो, दूरदर्शन, पत्राचार-पाठ्यक्रमों के माध्यम से आज खले विश्वविद्यालयों व विद्यालयों के सहयोग से जन-जन तक दूर-दराज के क्षेत्रों में भी शिक्षा का प्रसार किया जा रहा है। शिक्षा तकनीकी’ ने भाषा प्रयोगशाला, कम्प्यूटर पर आधारित अनुदेशन तथा शिक्षण मशीनों के प्रयोग से सभी छात्रों को अपने ढंग से सीखने का अवसर प्रदान किया है।

(स) ज्ञान का विकास करना-

आधुनिक युग में वैज्ञानिक शोध कार्यों को अधिक महत्त्वं दिया जा रहा है। शोध कार्यों में आँकड़ों का संकलन तथा उनका विश्लेषण करना मुख्य कार्य है। इसके लिए कम्प्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर तथा बिजली की मशीनों का प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार फोटोस्टेट की मशीनों के आविष्कार से विभिन्न पुस्तकों से विषय एकत्रित करने में सुविधा होती है।

कुछ शिक्षाशास्त्री शिक्षा उद्देश्यों को व्यावहारिक रूप में लिखना और उनकी हेतु दश्य-श्रव्य उपकरणों का प्रयोग करने को ही ‘शैक्षिक तकनीकी’ कहते हैं जब शिक्षाशास्त्री शिक्षण मशीनों तथा अभिक्रमित अनुदेशन को ही शैक्षिक तकनीकी रखी करते हैं, अतः शैक्षिक तकनीकी की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं जो निम्नलिखित है-

(1) डब्ल्यू.केनिथ रिचमण्ड – “शैक्षिक तकनीकी सीखने की उन परिस्थतियों की समुचित व्यवस्था के प्रस्तुत करने से सम्बन्धित है, जो शिक्षण एवं परीक्षण के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर अनुदेशन को सीखने का उत्तम साधन बनाती है।”

(2) ई.एम. बूटर – “ज्ञान के व्यवहार में विनियोग की प्रक्रिया ही शैक्षिक तकनीकी है। 

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(3) जी.ओ.एम. लेथ – “अधिगम तथा अधिगम की परिस्थितियों के वैज्ञानिक ज्ञान का प्रयोग जब शिक्षण तथा प्रशिक्षण को सुधारने तथा प्रभावशाली बनाने में किया जाता है, तब उसे शिक्षा-तकनीकी कहते हैं।

(4) बी.सी. मेथिस – “शैक्षिक तकनीकी, विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्था के रूप में व्यवस्थित शिक्षण विधियों, विद्यालय में ज्ञान के व्यावहारिक रूप के निर्माण, नियमन एवं परीक्षण की ओर संकेत करती है।

(5) रॉबर्ट ए. कॉक्स – “मनुष्य की सीखने की परिस्थितियों में वैज्ञानिक प्रक्रिया के प्रयोग को शैक्षिक तकनीकी कहा जाता है।

(6) आई.के. डेवीज – “शैक्षिक तकनीकी का सम्बन्ध शिक्षा तथा प्रशिक्षण का समस्याओं से होता है और यह अधिगम के स्रोतों के अनुशासित एवं व्यवस्थित संगठन से जाना जाता है।”

(7) तक्शी सेकमाटो- “शैक्षिक तकनीकी वह व्यावहारिक या प्रयोगात्मक अध्ययन है, जिसका उद्देश्य कुछ आवश्यक तत्त्वों जैसे शैक्षिक उद्देश्य, शैक्षिक परिवेश, छात्रों का व्यवहार, अनुदेशकों का व्यवहार तथा उनके पारस्परिक सम्बन्ध को नियन्त्रित करके शैक्षिक प्रभाव को अधिक शक्तिशाली बनाना है।”

(8) एस.एम. मैकमुरिन ने सन् 1970 में शैक्षिक तकनीकी की परिभाषा इस प्रकार प्रस्तुत की, “अनुदेशन तकनीकी, मानव अधिगम एवं सम्प्रेष्ण अनुसंधान पर आधारित सिखाने के उद्देश्यों को प्राप्त करने तथा क्रमबद्ध रूप से शिक्षण प्रारूप संचालन व उसके मूल्यांकन करने का ऐसा वैज्ञानिक साधन है, जो मानवीय एवं अमानवीय दृष्टि से अनुदेशन को अत्यधिक प्रभावशाली बना देता है।”

(१) एस.के. मित्रा- “शैक्षिक तकनीकी को उन पद्धतियों और प्रविधियों का विज्ञान माना जा सकता है, जिनके द्वारा शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।

(10) आर.ए. शर्मा – “शिक्षा तकनीकी में अदा, प्रदा तथा प्रक्रिया शिक्षा के तीन पक्ष होते हैं। इसके अन्तर्गत उद्देश्यों के प्रतिपादन, शिक्षण-विधियों तथा मूल्यांकन विधियों के विकास पर अधिक बल दिया जाता है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने से स्पष्ट होता है कि शैक्षिक तकनीकी शिक्षण तथा प्रशिक्षण में अधिगम एवं शिक्षण के वैज्ञानिक सिद्धान्तों का व्यावहारिक उपयोग है। इसके द्वारा मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों तथा नियमों का शिक्षण में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है, जिससे शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति हो सके।

शैक्षिक तकनीकी की विशेषताएँ (Characteristics of Educational Technology) :

(1) शैक्षिक तकनीकी का उद्देश्य शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का विकास करना है।

(2) यह शिक्षा विज्ञान तथा शिक्षण कला की देन है।

(3) इसे शैक्षिक साधनों (रेडियो, दरदर्शन, टेपरिकॉर्डर) के साथ नहीं मिलाया जा सकता, यह तो एक अभिगमन है।

(4) यह शिक्षा पर, विज्ञान तथा तकनीकी के प्रभाव का अध्ययन करती है।

(5) इसका आधार क्रमबद्ध एवं सुसंगठित ज्ञान अर्थात् विज्ञान है।

(6) यह शिक्षाशास्त्र का ही एक अंग है।

(7) यह मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, इंजिनियरिंग तथा भौतिक विज्ञानों से मदद लेता है।

(8) इसमें विज्ञान के व्यावहारिक पक्ष पर बल दिया जाता है।

(9) इसमें शिक्षण, प्रशिक्षण तथा अधिगम को प्रभावशाली बनाने हेतु व्यावहारिक ज्ञान की सहायता से प्रभावशाली पद्धतियों तथा प्रविधियों का विकास किया जाता है।

(10) यह एक निरन्तर विकासशील एवं प्रयोगात्मक विधि है।

(11) यह वातावरण, संसाधनों और विधियों के नियन्त्रण द्वारा अधिगम प्रक्रिया को सरल बनाती है।

(12) शिक्षा के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अधिगम दशाओं का संगठन शामिल होता है।

(13) शैक्षिक तकनीकी का सम्बन्ध शिक्षा की समस्याओं, उनके विश्लेषण, उनके निराकरण के लिए शोध तथा शिक्षा के सुधार से है।

(14) शैक्षिक तकनीकी के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम शिक्षण विधियों जैसे, अभिक्रमित अध्ययन, सूक्ष्म शिक्षण, अन्त:प्रक्रिया विश्लेषण आदि का विकास तथा प्रयोग हुआ है।

(15) शैक्षिक तकनीकी शिक्षण को सरल, स्पष्ट, रुचिकर, प्रभावोत्पादक, बोधगम्य, वस्तुनिष्ठ एवं वैज्ञानिक बनाती है।

(16) शैक्षिक तकनीकी के प्रयोग में शिक्षक का अपना महत्त्वपूर्ण स्थान है, जिससे शैक्षिक तकनीकी का समुचित प्रयोग किया जा सके। शैक्षिक तकनीकी से केवल ज्ञानात्मक पक्ष का विकास किया जा सकता है। शिक्षा के उद्देश्यों के भावात्मक पक्ष के विकास हेतु यह आवश्यक है कि छात्र तथा शिक्षक के मध्य अन्त:क्रिया हो, इसमें शिक्षक की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है।

 

 

महत्वपूर्ण प्रश्न(FAQ)-

प्रश्न 1.”डब्ल्यू.केनिथ रिचमण्ड” के अनुसार शैक्षिक तकनीकी की परिभाषा क्या है?

उत्तर-   डब्ल्यू.केनिथ रिचमण्ड – “शैक्षिक तकनीकी सीखने की उन परिस्थतियों की समुचित व्यवस्था के प्रस्तुत करने से सम्बन्धित है, जो शिक्षण एवं परीक्षण के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर अनुदेशन को सीखने का उत्तम साधन बनाती है।”

प्रश्न 2.  “रॉबर्ट ए. कॉक्स” के अनुसार शैक्षिक तकनीकी की परिभाषा क्या है?

उत्तर-  रॉबर्ट ए. कॉक्स – “मनुष्य की सीखने की परिस्थितियों में वैज्ञानिक प्रक्रिया के प्रयोग को शैक्षिक तकनीकी कहा जाता है। 

प्रश्न 3. शैक्षिक तकनीकी का अर्थ क्या है?

उत्तर- ‘शैक्षिक तकनीकी’ शिक्षण उद्देश्यों को व्यावहारिक रूप देते हए विभिन्न विधियों एवं प्रविधियों को जन्म देती है।

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