इसमें हम लोग उद्दीपन परिवर्तन कौशल क्या है, Skill of Stimulus Variations in Hindi, उद्दीपन की परिभाषा, उद्दीपन परिवर्तन कौशल के तत्त्व, उद्दीपन परिवर्तन कौशल हेतु सूक्ष्म पाठ-योजना, आदि का अध्ययन करेगें।
उद्दीपन परिवर्तन कौशल (Skill of Stimulus Variations)
शिक्षण की सफलता हेतु अध्यापक कक्षा में विद्यार्थियों का ध्यान पाठ्यवस्तु पर केन्द्रित करने हेतु कई प्रकार के उद्दीपन (Stimulus) प्रस्तुत करके विद्यार्थियों को अभिप्रेरित करता है। इसके लिए वह अनेक तरीके अपनाता है, जैसे-श्यामपट्ट पर लिखना, चित्र बनाना, हाथ अथवा संकेतक (Pointer) से इंगित करना, विभिन्न मुखमुद्राएँ बनाना, छात्रों के समीप जाना, वाणी में उतार-चढ़ाव लाना, नवीन उदाहरण प्रस्तुत करना, छात्रों से प्रश्न पूछना, शरीर संचालन करना, विराम प्रयोग करना, दृश्य-श्रव्य सामग्री के प्रयोग में परिवर्तन करना आदि। उपर्युक्त समस्त बिन्दु शिक्षण में उद्दीपनों का कार्य करते हैं, इन उद्दीपनों को कुशलतापूर्वक समयानुसार परिवर्तित कर प्रयोग करने के कौशल को ही ‘उद्दीपन परिवर्तन कौशल’ (Skill of Stimulus Variation) कहते हैं।
उद्दीपन की परिभाषा :
टेबर, ग्लेसर और सेफर ने उद्दीपन को निम्नलिखित शब्दों में पारिभाषित किया है, “कोई परिस्थिति, घटना अथवा वातावरण में परिवर्तन से यदि विद्यार्थियों के व्यवहार में परिवर्तन होता है, तो उसे उद्दीपन कहते हैं।” जितना आकर्षक उद्दीपन छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है उतना ही उनकी अनुक्रिया प्रभावशाली होती है। यदि अध्यापक इन उद्दीपनों में समय-समय पर परिवर्तन करता है तो विद्यार्थियों में विषयवस्तु के प्रति आकर्षण, रुचि एवं उत्सुकता बनी रहती है, क्योंकि उद्दीपन तथा प्रतिक्रिया का घनिष्ठ सम्बन्ध है :
प्रस्तुतीकरण शिक्षक द्वारा
आकर्षक उद्दीपन
1. दृश्य-श्रव्य साधनों का प्रयोग अधिगम
2. उपयुक्त शिक्षण विधि
3. रुचिकर विषय तथा आकर्षक प्रस्तुतिकरण
छात्र द्वारा
सहज प्रतिक्रिया
1. अधिगम
2. सरल तथा स्थायी
उद्दीपन परिवर्तन कौशल के तत्त्व :
1. अध्यापक संचालन- अध्यापक अध्यापन के दौरान यदि बहुत समय तक एक ही स्थिति में खड़ा रहता है तो थोड़ी देर बाद छात्रों का ध्यान इधर-उधर भटक जाता है। यदि अध्यापक हिलता-डुलता है, कक्षा में आवश्यकतानुसार अपनी जगह बदलता है तो छात्रों का ध्यान उसकी ओर केन्द्रित हो जाता है।
2. अध्यापक की भाव- भंगिमा-इसके अन्तर्गत मुखमुद्रा जैसे हँसना, भौंहे चढ़ाना, सर्वगों का प्रदर्शन (क्रोध, स्नेह, स्वीकृति), नत्र सचालन, सिर हिलाना तथा हाथ से रुकने व उँगली से चुप रहने का संकेत आदि आते हैं। अन्य विषयों के शिक्षण के साथ-साथ भाषा शिक्षण में अध्यापक की भाव-भंगिमा विषय को स्पष्ट करने में विशेष रूप से सहायक होती है। इसके लिए करुण रस की कविता पढ़ाते समय अध्यापक के चेहरे पर करुणा के भाव झलकने चाहिएँ, इसके विपरीत वीर रस की कविता अथवा पाठ पढ़ाते समय वीरता के भाव चेहरे से प्रदर्शित होने चाहिएँ।
3. वाणी में उतार-चढ़ाव- आवश्यकतानुसार वर्णों व शब्दों पर स्वराघात तथा बलाघात किया जाना चाहिए। जो शब्द अधिक महत्त्वपूर्ण हैं उन्हें ऊँची आवाज में बोलना चाहिए, ताकि छात्रों का ध्यान उन विशेष शब्दों की ओर आकर्षित हो सके। अध्यापक की आवाज में कई प्रकार से परिवर्तन हो सकते हैं-ऊँची आवाज, मन्द आवाज, तीव्र गति, मन्दगति आदि छात्राध्यापक अपने अनुभव एवं पर्यवेक्षण से इस कौशल में निपुणता प्राप्त कर सकता है।
4. भाव केन्द्रीकरण- इस बिन्दु का प्रयोग छात्रों का पाठ में किसी विशेष घटना अथवा मुख्य भाव की ओर ध्यान केन्द्रित करने के लिए किया जाता है। इसके तीन रूप होते हैं :
(i) मौखिक-दृश्य रूप
(ii) मौखिक/मौखिक-दृश्य रूप
(iii) दृश्य/मौखिक-दृश्य रूप।
जैसे कभी-कभी अध्यापक मानचित्र आदि की तरफ ध्यान केन्द्रित करता है और कहता है, “इसे ध्यान से देखो” और बताओ कि हिमालय पर्वत से कौन-कौनसी नदियाँ निकलती हैं”? इसी प्रकार अध्यापक कभी-कभी जीव विज्ञान जैसे विषय पढ़ाते समय चित्र में आवश्यक भागों की ओर संकेत करता है। कभी-कभी उपर्युक्त दोनों क्रियाओं को एक साथ प्रयोग में लाता है।
5. अन्तःक्रिया शैली में परिवर्तन- अध्यापन के समय शिक्षक और छात्रों के मध्य विचारों के आदान-प्रदान की क्रिया अन्तःक्रिया कहलाती है। कक्षा में यह कई प्रकार से सम्भव है :
(i) अध्यापक और सम्पूर्ण कक्षा के मध्य,
(ii) अध्यापक और छात्र के मध्य,
(ii) छात्र और छात्रों के मध्य,
(iv) छात्र और छात्र के मध्य,
(v) छात्र और अध्यापक के मध्य,
(vi) छात्र और कक्षा के मध्य छात्र सहभागिता को अन्तः क्रिया में परिवर्तन से प्रोत्साहन मिलता है। अध्यापक कक्षा में ऐसा वातावरण उत्पन्न करता है कि पाठ में सभी का सहयोग प्राप्त हो सके। इससे छात्र तथा शिक्षक दोनों सक्रिय रहते हैं। इसमें अन्तक्रिया का प्रारूप निरन्तर बदलते रहना चाहिए।
6. विराम प्रयोग अथवा मौन- अध्यापक लगातार बोलने की अपेक्षा बीच में रुक जाए तो इससे भी छात्रों का ध्यान उसकी ओर आकर्षित होगा। इसी प्रकार छात्रों से प्रश्न पूछने के तुरन्त बाद उनसे उत्तर की अपेक्षा करना मनोवैज्ञानिक दृष्टि से ठीक नहीं है। प्रश्न पूछने के बाद छात्रों को उत्तर सोचने का पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।
इसी प्रकार लम्बी कहानी सुनाते समय बीच में चुप हो जाना अथवा रुककर यह कहना कि ‘जानते हो, आगे क्या हुआ ? आदि क्रियाओं से छात्रों का ध्यान विषय की ओर केन्द्रित हो जाता है।
उद्दीपन परिवर्तन कौशल हेतु सूक्ष्म पाठ-योजना
विषय : हिन्दी
कक्षा : VI
प्रकरण : बीरबल की चतुराई
समय: 10 मिनट
शिक्षक-कुछ मुगल बादशाहों के नाम बताइये।
छात्र-शाहजहाँ, अकबर, औरंगजेब आदि।
शिक्षक-अकबर का बुद्धिमान मंत्री कौन था ?
छात्र-बीरबल।
शिक्षक-(अकबर के दरबार का चित्र प्रस्तुत कर पाठ को आगे बढ़ायेगा तथा निम्न कथन उचित हाव-भाव के साथ कक्षा में प्रस्तुत करेगा) अकबर हमेशा बीरबल को अपने साथ रखता था। एक बार दरबारियों के द्वारा कान भरे जाने पर अकबर ने बीरबल को आगरा से बाहर चले जाने को कहा। बीरबल एक किसान के यहाँ चला गया।
शिक्षक-बीरबल अकबर द्वारा निकाले जाने पर कहाँ गया।
छात्र-किसान के यहाँ।
शिक्षक-अगर आपका प्रिय मित्र आपसे बिछड़ जाए तो आपको कैसा लगेगा।
छात्र-दुख होगा।
शिक्षक- बीरबल के चले जाने पर अकबर की कैसी दशा हुई होगी ?
छात्र-अकबर उदास व दुःखा रहन लगा होगा। (उत्तर ग्रहण करने में शिक्षक छात्रों की मदद करेगा)
शिक्षक-अकबर को एक उपाय सूझा, उसने चौराहे पर यह लिखवा कर टैंगवा दिया, जो आदमी अकबर बादशाह के पास आधी धूप और आधी छाया में आयेगा उसे बादशाह दस हजार रुपये का इनाम देंगे। बताओ, आधी धूप और आधी छाया में बादशाह के पास जाने की तरकीब किसने सुझाई होगी? छात्र-मौन रहेंगे।
शिक्षक-(चित्र प्रस्तुत करके) बीरबल ने गरीब किसान को अपने सिर पर खाट रखकर दोपहर बाद बादशाह के पास जाने के लिए कहा। उसे इस हालत में देखकर बादशाह ने पूछा तुम्हें इस तरह किसने भेजा है ?
शिक्षक-गरीब किसान को बादशाह के पास किसने भेजा था ?
छात्र-बीरबल ने।
शिक्षक-इस उपाय से बादशाह को क्या लाभ हुआ ?
छात्र-बादशाह को बीरबल का पता लग गया।
उद्दीपन परिवर्तन कौशल की निरीक्षण सूची:
छात्राध्यापक का नाम……………
कक्षा…………..
दिनांक………..
विषय……………..
प्रकरण…………………….
समय : 10 मिनट
नोट-(उद्दीपन परिवर्तन कौशल तत्त्वों की आवृत्ति का अंकन प्रति मिनट से करें)
उद्दीपन परिवर्तन कौशल की मूल्यांकन सूची:
छात्राध्यापक का नाम………………..
कक्षा……………….
दिनांक……………..
विषय……………….
प्रकरण…………………..
समय : 10 मिनट
नोट-(उद्दीपन परिवर्तन कौशल तत्त्वों की आवृत्ति का गुणात्मक मूल्यांकन अंकित करें)
Important Link
उद्दीपन परिवर्तन कौशल क्या है ? | Skill of Stimulus Variations in Hindi
पुनर्बलन कौशल क्या हैं, अर्थ एवं परिभाषा | Reinforcement Skill in Hindi
उदाहरण सहित दृष्टान्त कौशल | Skill of Illustrations With Examples in Hindi
प्रदर्शन कौशल क्या है ? | Skill of Demonstration in Hindi
व्याख्यान कौशल और श्यामपट्ट-लेखन कौशल | Skill of Black-board Writing and Skill or Lecturing in Hindi
प्रश्न कौशल क्या है: Skill of Questioning in Hindi
शिक्षण कौशल क्या है: प्रस्तावना कौशल | Teaching Skill in Hindi
सूक्ष्म शिक्षण चक्र क्या है ? | Cycle of Micro-Teaching in Hindi
सूक्ष्म शिक्षण का अर्थ एवं परिभाषायें | Meaning & Definitions of Micro-Teaching In Hindi
आधुनिक शिक्षण प्रतिमान- सूचना प्रक्रिया स्रोत (Information Process Source)