प्रश्नोत्तर विधि (QUESTION ANSWER STRATEGY)
प्रश्नोत्तर शिक्षण विधि सुकरात के समय से चली आने वाली एक प्राचीन पद्धति है। इसलिए इस नीति को सुकराती विधि भी कहा जाता है। सुकरात के अनुसार प्रश्नोत्तर विधि प्रणाली के तीन प्रमख सोपान होते हैं-
(1) प्रश्नों को व्यवस्थित रूप से निर्मित करना।
(2) उन्हें समुचित रूप से छात्रों के। सामने रखना, ताकि नये ज्ञान के लिए उनमें उत्सुकता जाग्रत हो सके तथा
(3) छात्रों के माध्यम से उनमें सम्बन्ध स्थापित करते हुए नवीन ज्ञान देना।
इसमें निम्न, मध्यम तथा उच्च स्तर के प्रश्न आवश्यकतानुसार प्रयोग किये जाते हैं। प्रश्नों को हम अग्रांकित प्रकार से भी वर्गीकृत कर सकते हैं-
प्रश्नोत्तर विधि का वर्गीकरण(Question Answer Strategy)
1. औपचारिक प्रश्नोत्तर नीति (Formal Question Answer Strategy)
(a) शिक्षण प्रश्नोत्तर (Teaching Questions)
(a1) प्रारम्भिक प्रश्नोत्तर (Preliminary Questions)
(a2) पुनरावलोकन प्रश्नोत्तर (Re-capitulartory Questions)
(b)पाठ के विकास से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर (Developing Question and Answer)
2. सामान्य प्रश्नोत्तर नीति (Natural Question Answer Strategy)
प्रश्नोत्तर विधि की विशेषताएँ (Characteristics)
(1) प्रश्नोत्तर विधि के समय छात्र सक्रिय हो जाते है।
(2) उनमें नये ज्ञान के प्रति उत्सुकता जाग्रत हो जाती है।
(3) यह मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित है।
(4) प्रशिक्षण संस्थाओं और छोटे बच्चों के लिए उपयोगी है।
(5) छात्रों का विचार तथा चिन्तन करने की शक्ति में विकास होता है।
(6) पाठ के विकास में सहायता देते हैं।
(7) पाठ के पुनरावलोकन तथा प्रत्यास्मरण में सहायक है।
(8) छात्रों की विशिष्ट समस्याओं तथा कठिनाइयों का प्रश्नोत्तर के माध्यम से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
(9) छात्रों के ज्ञान के मूल्यांकन करने में उपयोगी हैं।
प्रश्नोत्तर विधि की सीमाएँ
(1) कभी-कभी यह विधि यान्त्रिक बन जाती है और नीरसता ले आती है।
(2) प्रश्नोत्तर विधि का सही उपयोग के लिए विशिष्ट प्रशिक्षण आवश्यक है।
(3) अच्छे और सही प्रश्नों का निर्माण करना एक कला है, जिसमें सभी लोग पारंगत नहीं होते।
(4) यह स्वयं में सम्पूर्ण नहीं है वरन दूसरी नीतियों का सहारा लेना पड़ता है; जैसे-व्याख्यान नीति आदि।
(5) उच्च कक्षाओं के लिए इनका प्रयोग अधिक उपयोगी नहीं है।
प्रश्नोत्तर विधि की सुझाव
(1) प्रश्न संक्षिप्त तथा स्पष्ट एवं सही संरचना वाले होने चाहिए।
(2) प्रश्नों में परस्पर सम्बन्ध होना चाहिए।
(3) कक्षा के छात्रों के स्तर तथा पाठ्य-वस्तु की प्रकृति पर ध्यान देते हुए प्रश्नों का निर्माण करना चाहिए।
(4) प्रश्नों की भाषा सरल होनी चाहिए।
(5) प्रश्नों को सही ढंग से स्पष्ट आवाज में तथा पूरे वाक्यों से प्रस्तुत करना चाहिए।
(6) प्रश्नोत्तर के मध्य हास्य विनोद भी महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
(7) प्रश्नों का वितरण कक्षा में समान रूप से करना चाहिए।
(8) Yes/No या Suggestive Type प्रश्नों का प्रयोग जहाँ तक न किया जाय अच्छा है।
प्रश्नोत्तर प्रणाली में विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं। चार्ट के माध्यम से इन्हें प्रदर्शित किया जा रहा है-
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