kanishk-the-great-king-of-kushan-dynasty

कुषाण वंश का सबसे प्रतापी शासक कौन था

इस पोस्ट में आप लोग को मैं प्रमुख प्रश्नो को समझाने का प्रयास करूँगा कि कुषाण वंश का सबसे प्रतापी शासक कौन था? कनिष्क महान शासक था। व्याख्या कीजिये, कुषाण कौन थे उनके उदय का वर्णन करें? इसके बाद सर्वाधिक विख्यात कुषाण शासक कौन था ?,कुषाण वंश के संस्थापक कौन थे, फिर मैं आपको कुषाण वंश का शासक कौन था?, सातवाहन वंश के बारे में बताऊगां। फिर पुष्यमित्र शुंग की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिये। शक् सम्वत् की स्थापना किसने और कब की गंधार कला से आप क्या समझते है। आदि प्रश्नों पर चर्चा करेंगे।

कनिष्क महान शासक था व्याख्या कीजिये।

कनिष्क साम्राज्यवादी भावना से ओत-प्रोत वीर, विजेताब महत्वाकांक्षी शासक था । उसने उत्तर, दक्षिण एवं पूर्व तीनों दिशाओं में अपना साम्राज्य बढाया। इसके लिए उसने अनेक वियज(यूद्धों को जीता) जो किस निम्न है-

कनिष्क ने सर्वप्रथम कश्मीर पर विजय प्राप्त किया कल्हण की राजन अनसार उसने वहाँ नगर बसाये थे । बौद्ध जनश्रुतियों के अनुसार कनिष्क उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश आदि पर विजय प्राप्त की तथा साकेत व पाटलिपअपना अधिकार स्थापित कर लिया। इसी विजय के समय उसकी भेट अश्वघोष नामक विद्वान से हुयी।

कनिष्क का राज्य चीन तक फैला था । चीनी ग्रंथों के अनुसार उसने चीन पर आक्रमण किया लेकिन वह हार गया । उसके साम्राज्य में अफगानिस्तान, पश्चिमोत्तर सीमाप्रान्त, कश्मीर, सिंध, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश के वाराणसी तक का क्षेत्र सम्मिलित था । सारनाथ तथा श्रावस्ती से प्राप्त अभिलेखों के अनुसार उसके क्षेत्रों के नाम मिलते हैं।

इस प्रकार उसका साम्राज्य पूर्वी उत्तर प्रदेश तक विस्तृत था। दिग्विजय के द्वारा कनिष्क ने एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया जिसकी सीमाएँ भारत के अन्दर तथा बाहर दोनों जगह फैली थीं।

कनिष्क के काल में बौद्ध धर्म के प्रसार एवं उसकी उन्नति का वर्णन 

कनिष्क बौद्ध धर्म का अनुयायी था । उसके शासन काल में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक कार्य हुए जो निम्नवत् हैं-

(1) महायान नामक एक नये सम्प्रदाय का उदय हुआ जो पुराने हीनयान सम्प्रदाय से भिन्न था । इसमें बुद्ध को भगवान माना जाता था तथा उनकी मूर्ति बनाकर पूजा की जाती थी।

(2) कनिष्क के काल में चौथी बौद्ध संगीति का आयोजन कुण्डलवन में हुआ । यह सभा बौद्ध आचार्य वसुमित्र की अध्यक्षता में हुयी । इस सभा का मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म में उत्पन्न दोषों को दूर करना था । इस सभा में महायान त्रिपिटक का प्रामाणिक पाठ तैयार किया गया ।

(3) कनिष्क ने बौद्ध धर्म को अफगानिस्तान, मध्य एशिया, चीन एवं जापान आदि देशों तक फैलाया ।

(4) इस समय पहली बार बौद्ध ग्रन्थों में पालि भाषा के स्थान पर संस्कृत भाषा का प्रयोग हुआ।

(5) कुषाण काल में अश्वघोष, नागार्जुन तथा वसुमित्र जैसे बौद्ध धर्म के विद्वान हुए, जिन्होंने इस धर्म को दूर-दूर तक फैलाया ।

(6) महायान में बोधिसत्वों को अधिक महत्व दिया गया । इस समय बुद्ध के साथसाथ बोधिसत्वों की भी पूजा होने लगी थी । इसीलिए बौद्ध धर्म जनसाधारण के लिए उदार धर्म बन गया था ।

(7) कनिष्क के काल में बौद्ध धर्म के उच्च कोटि के ग्रन्थों की रचना हुयी जिनसे बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार को बल मिला ।

(8) कनिष्क की धार्मिक नीति उदार थी जिसके फलस्वरूप बौद्ध धर्म विकसित हुआ।

( सम्राट अशोक की भाँति कनिष्क ने भी अपना अधिकांश जीवन इस धर्म के प्रसार में व्यतीत किया । यही कारण है कि बौद्ध धर्म के इतिहास में अशोक के बाद कनिष्क को दूसरा स्थान दिया जाता है ।)

(10) कनिष्क ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने सिक्कों पर भगवान बुद्ध के चित्र अधिकता से अंकित कराये ।

इतिहासकार रायचौधरी के अनुसार-उसका यश उसकी विजयों पर उतना अवलंबित न था, जितना शाक्य मुनि के धर्म को राज्याश्रय प्रदान करने पर । वह अन्य धर्मावलम्बियों के प्रति उदार था।

See also  गौतम बुद्ध के उपदेश | Gautam buddha ke updesh

कनिष्क भारत के कुषाण सम्राटों में सबसे अधिक आकर्षक व्यक्तित्व है। इस कथन से आप कहां तक सहमत हैं ?

कनिष्क एक महान सम्राट था । वह वीर, विजेता, कुशल- सेनापति तथा सुयोग्य शासक था । उसकी योग्यता से प्रभावित होकर उसे दूसरा नेपोलियन या दूसरा अशोक कहा जाता है। वह बौद्ध धर्म का महान आश्रयदाता था। उसने अपने साम्राज्य का पर्याप्त विस्तार किया । उसका साम्राज्य उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में सौराष्ट्र तक तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश तक फैला था।

सम्राट कनिष्क ने दिग्विजय के साथ सामाजिक, साहित्यिक तथा आर्थिक स्थिति सुधारने के भी प्रयास किये । उसके समय में साहित्य तथा कला की अत्यधिक उत्रति हुयी। कनिष्क कलाप्रेमी था । उसने स्तूपों एवं भवनों का निर्माण कराया। उसने कनिष्कपुर नामक नगर भी बसाया | कनिष्क काल की कलाओं के सहयोग से मथुरा तथा गांधार शैली का विकास हुआ। कनिष्क साहित्यानुरागी तथा विद्वानों का आदर करने वाला था।

उसके समय में साहित्य की अपूर्व उन्नति हुयी । इस समय बुद्ध चरित्र, त्रिपिटक, चरक संहिता आदि प्रमुख ग्रन्थों की रचना हुयी । कनिष्क के प्रयासों के कारण बौद्ध धर्म एशिया के कई देशों तक पहुँच गया था । विद्वानों ने कनिष्क की उपलब्धियों के कारण ही उसकी गणना भारत के महान सम्राटों में की है । डॉ० रमाशङ्कर त्रिपाठी ने कनिष्क को कुषाणकालीन सम्राटों में सर्वाधिक आकर्षक व्यक्तित्व वाला बताया है।

डॉ० स्मिय के अनुसार, कुषाण सम्राटों में वही एक ऐसी ख्याति छोड़ गया है जो भारतीय सीमा के बाहर भी प्रसिद्ध है । इस प्रकार उपर्युक्त विवरण के आधार पर हम कह सकते हैं कि कनिष्क के सम्बन्ध में डॉ० त्रिपाठी की दी गयी उक्ति अक्षरश: सत्य है।

(1)चतुर्थ बौद्ध संगीति-

कनिष्क ने कश्मीर के कुण्डलवन में चतुर्थ बौद्ध संगीति आयोजित की। यह सभा वसुमित्र का अध्यक्षता में हुयी। अश्वघोष इसके उपाध्यक्ष चुने गये । इस सभा में त्रिपिटक के प्रामाणिक पाठ तैयार किये गये । इस सभा में पहली बार पालि भाषा के स्थान पर संस्कृत भाषा का प्रयोग बौद्ध ग्रंथों में किया गया।

(2) कुषाणकालीन साहित्य-

कुषाण काल में उच्चकोटि के साहित्य की रचना हयी। कनिष्क के समय में साहित्य की अपूर्व उन्नति हुई । कुषाण काल में अश्वमेध नामक एक नाटककार, उपदेशक, दार्शनिक या जिसने बुद्ध चरित, सौन्दरानन्द तथा सारिपुत्र प्रकरण नामक ग्रन्थों की रचना की । नागार्जुन नामक दार्शनिक ने माध्यमिककारिका की रचना की | वसुमित्र ने कई ग्रंथों पर टीकाएँ लिखीं । कनिष्क के चरक नामक राजवैद्य ने चरकसंहिता नामक पुस्तक की रचना की । यह आयुर्वेद का प्रसिद्ध ग्रन्थ स्वीकारा जाता है।

(3) कुषाणकालीन कला-

इस काल में कला की अत्यधिक उन्नति हुयी । कनिष्क ने कश्मीर में कनिष्कपुर नामक नगर बसाया तथा पुरुषपुर में स्तूप का निर्माण कराया । इस समय बुद्ध की मूर्तियों के साथ हिन्दू धर्म के प्रमुख देवी-देवताओं तथा जैन धर्म के तीर्थङ्करों की मूर्तियाँ बनायी गयीं । इस काल की कला में साँची, भरहुत तथा गांधार कला उल्लेखनीय है।

सातवाहनकालीन सभ्यता एवं संस्कृति का वर्णन कीजिए।

सातवाहन काल में सभ्यता एवं संस्कृति उन्नत दशा में थी । समाज चार वर्गों में विभक्त था । इस काल की सभ्यता का विवरण निम्न प्रकार है। सातवाहन काल वैदिक एवं बौद्धिक धर्मों की उन्नति का काल था ।

राजा ब्राह्मण धर्म के अनुयायी थे। अतः उन्होंने अनेक वैदिक यज्ञ एवं धार्मिक अनुष्ठान किये यद्यपि सातवाहन नरेश ब्राह्मण धर्म के अनुयायी थे किन्तु अन्य धर्मों के प्रति वे सहिष्ण एवं उदार थे।इस काल में गुहा, विहार, स्तूप, बोधिवृक्ष, रत्न, धर्मचर आदि प्रतीकों से बुद्ध की उपासना की जाती थी। तीर्थ यात्राएँ भी प्रचलित थीं।

कला-

इस काल में कला की अत्यधिक उन्नति हुयी । इस काल में प्राचीन बौद्ध स्तूपों का जीर्णोद्धार हुआ तथा नये स्तूपों का निर्माण हुआ। इस काल का अमरावती का स्तूप अत्यधिक प्रसिद्ध है । स्तूप के विभिन्न भागों में कला के सुन्दर नमूने बने हैं। इस काल में गुफाओं का भी निर्माण हुआ । कलाकृतियों के निर्माण में समाज के सभी वर्गों का योगदान रहता था ।

भाषा एवं साहित्य-

इस काल में अभिलेख महाराष्ट्री प्राकृत भाषा में लिखे गये थे। सातवाहन राजा स्वयं विज्ञान, विद्वान, रागों तथा विद्वानों के आश्रयदाता थे। इस वंश के राजा हाल ने ‘गाथा सप्तशती’ नामक गीति काव्य की रचना की थी। उसके दरबार में गणाढ्य तथा रविवर्मन नामक विद्वान थे जिन्होंने वृहत्कथा तथा कातन्त्र नामक गंधों की रचना की । अतः इस काल में संस्कृत तथा प्राकृत दोनों ही भाषाओं की विशेष उन्नति हुई।

See also  बाबर कौन था ? उसकी भारतीय विजय

पुष्यमित्र शुंग की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिये।

पुष्यमित्र शुंग ने शुंग वंश की स्थापना की थी । उसने मौर्य वंश के अन्तिम सम्राट वहद्रथ की हत्या कर राज्य पर अधिकार कर लिया था । उसके शासन काल की महत्वपर्ण घटना विदर्भ-विजय थी । विदर्भ के शासक यज्ञसेन तथा माधवसेन ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली थी। उसने यवनों को भी भारत से खदेड़ दिया था ।

शुंग ब्राह्मण वर्ण का तथा वैष्णव मत का अनुयायी था । उसने भक्ति एवं वैदिक कर्मकाण्डों को महत्व दिया था। उसने दो अश्वमेध यज्ञ किये थे। उसके समय में ब्राह्मण धर्म तथा संस्कृत भाषा की अत्यधिक उन्नति हुयी । पंतजलि का महाभाष्य, मनुस्मृति एवं वर्तमान वाल्मीकि रामायण और महाभारत के कुछ अंश इसी युग की देन हैं । पुष्यमित्र बौद्ध धर्म का कट्टर विरोधी था । उसने अनेक बौद्ध मठों को नष्ट करवा दिया तथा बौद्ध भिक्षुओं को मरवा डाला था ।

आप को यह भी पसन्द आयेगा-

 

Disclaimer -- Hindiguider.com does not own this book, PDF Materials, Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet or created by HindiGuider.com. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: 24Hindiguider@gmail.com

Leave a Reply