निर्देशन क्या है?, अर्थ एवं परिभाषा

निर्देशन क्या है?, अर्थ एवं परिभाषा | निर्देशन के उद्देश्य | Guidance in Hindi

निर्देशन क्या है?(GUIDANCE)

“व्यक्ति को स्वयं को पहचानने में सहायता करना, जिससे वह अपने जीवन में आगे बढ़ सके, निर्देशन कहलाता है।”

  -शर्ले हैमरिन

 

प्राचीन समय से ही अति अनुभवी मनुष्यों द्वारा कम अनुभवी या गैर-अनुभवी, व्यक्तियों को निर्देशित किया जाता रहा है। परन्तु उस समय निर्देशन का स्तर सीमित हुआ करता था क्योंकि उस प्राचीन समय में जीवन अत्यन्त सरल हुआ करता था, अतः निर्देशन की आवश्यकता उतनी अधिक महसूस नहीं होती थी। वर्तमान वैज्ञानिक युग में, जीवन में बढ़ती हुई जटिलताओं के कारण निर्देशन की आवश्यकता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए निर्देशन को एक व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक विषय के रूप में विकसित किया गया।

 

 

निर्देशन का अर्थ

निर्देशन से तात्पर्य, साधारण भाषा में उचित निर्णय लेने तथा शैक्षणिक, व्यावसायिक एवं व्यक्तिगत समस्याओं को हल करने में प्रदान की गई सहायता से है। यह एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति को जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में पर्याप्त सामंजस्य स्थापित करना सिखाया जाता है। यह एक संघटित सेवा है जिसका उद्देश्य व्यक्ति को स्वयं को समझने में सहायता प्रदान करना है अर्थात उसे उसकी योग्यताओं, रुचियों, रुझानों, क्षमताओं, आवश्यकताओं, उद्देश्यों एवं सीमाओं इत्यादि से परिचित कराना है।

 

निर्देशन का अर्थ व्यक्ति के जीवनकाल के दौरान उसकी शिक्षा एवं पालन-पोषण पर प्रभाव डालने वाले विभिन्न पक्षों के आधार पर

1. माता-पिता- माता-पिता के अनुसार, बालक के जीवन में आने वाली विभिन्न कठिन परिस्थितियों में उसे दी जाने वाली सलाह, पुनः प्रमाणीकरण, प्रोत्साहन इत्यादि जो कि उसे परिवार व विद्यालय द्वारा उचित पालन पोषण को ध्यान में रखकर दिया जाता है, निर्देशन के अन्तर्गत आता है।

मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम या विक्षिप्त बालकों के माता-पिता के लिए निर्देशन से तात्पर्य उस निदानात्मक एवं उपचार्यात्मक प्रक्रिया (Diagnostic and Remedial Process) से होता है जो कि निर्देशन-चिकित्सालयों (Guidance clinics) में उपयोग में लायी जाती है।

वे माता-पिता जो अपने बालक या बालिकाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करवाना चाहते हैं उनके लिए मुख्यतः निर्देशन से तात्पर्य महाविद्यालयीन सलाह से होता है।

 

2. शिक्षक- शिक्षक के लिए निर्देशन से तात्पर्य बालक की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को लगातार ध्यान में रखना है। इससे तात्पर्य कक्षा की शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया से सामंजस्य स्थापित करने में आने वाली व्यक्तिगत समस्याओं पर ध्यान देना है। निर्देशन से तात्पर्य कक्षा में एक अच्छा मनोवैज्ञानिक वातावरण विकसित करने से भी लगाया जा सकता है।

शिक्षक के लिए निर्देशन, परामर्शदाता द्वारा प्रदान किए जाने वाले विशिष्ट कार्यक्रम एवं सेवाएँ भी हो सकते हैं जो कि कभी-कभी विशिष्ट अवसरों पर शैक्षिक अकुशल छात्रों को प्रदान किए जाते

 

3. विद्यार्थी- विद्यार्थी के लिए निर्देशन का कोई विशेष अर्थ नहीं होता, जब तक कि वे व्यक्तिगत तौर पर किसी परामर्शदाता के सम्पर्क में नहीं आते। निर्देशन का अर्थ किसी से अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को सनना समझना एवं सहायता करना इत्यादि का अवसर प्राप्त करना है। निदशन से तात्पर्य उन सचनाओं को प्राप्त करना भी है जिससे सही विद्यालय, महाविद्यालय एवं विषय का चुनने में सहायता मिल सके साथ ही विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए भी जानकारी प्राप्त हो सके तथा भविष्य के बारे में निर्णय लेने में सहयोगी सिद्ध हो सके।

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4. विद्यालय प्रशासक- एक विद्यालय प्रशासक के लिए निर्देशन से तात्पर्य पूर्व में वर्णित समस्त क्रियाओं के साथ-साथ विभिन्न कार्यक्रमों एवं नीतियों से है जो कि विद्यालय में आयोजित विभिन्न गतिविधियों से निर्धारित, निरीक्षित एवं मूल्यांकित किए जाएँ।

 

5. परामर्शदाता- एक परामर्शदाता के लिए निर्देशन का तात्पर्य एक विशिष्ट, सुनियोजित, निरन्तर चलने वाली व्यावसायिक प्रक्रिया से है जिसके द्वारा शिक्षार्थी की विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति एवं समस्याओं के निदान हेतु विद्यालयीन विकास, व्यक्तिगत सामाजिक सम्बन्ध एवं शैक्षिक एवं व्यावसायिक दिशा निर्धारण हेत सहयोग प्रदान करना है।

 

 

निर्देशन की परिभाषाएँ

“निर्देशन किसी व्यक्ति की प्राकृतिक शक्तियों की खोज करने के लिए विशिष्ट प्रशिक्षण की विभिन्न विधियों से अवगत कराने वाली एक प्रक्रिया है ताकि वह अपने जीवन को अपने और समाज के अधिकतम हित के लिये बना सके।”

“Guidance is the process of acquainting the individual with the various ways including special training in which he may discover his natural endowment so that he makes a living to his own best advantage and that of the society.”

-United States Office of Education

 

जॉन, स्टैफ्लर और स्टीवर्ट के अनुसार- “निर्देशन एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को चयन और समायोजन करने तथा समस्याओं को हल करने में सहायता करना है।”

“Guidance is the help given by the one person to another in making choices and adjustment and in solving problems.”

-Jones, Steffire and Stewart

 

चाईशोम के अनुसार- “निर्देशन व्यक्ति के जीवन की तथा सृजनात्मक पहल की समस्याओं को हल करने के लिये उसमें सूझबूझ पैदा करने पर केन्द्रित है ताकि वह अपनी समस्याओं को ठीक ढंग से हल कर सके।”

 

“Guidance aims to develop in him insight into the solution of his problems of living as well as a creative initiative were by he will throughout life be able to meet and solve his own problems adequately.”

– Chisolm

 

जोन्स ने अपनी एक संकुचित परिभाषा में निर्देशन को मात्र- “इंगित करना, सूचित करना तथा पथ प्रदर्शित करना ही बताया है और इसका अर्थ सहायता देने से अधिक है।”

 

“To guide means to indicate, to point out, to show a way. It means more than to assist.”

-Jones

 

एमरीस्टूप्स के शब्दों में-“निर्देशन सहायता प्रदान करने की ऐसी प्रवाहित क्रिया है जो व्यक्तिगत तथा सामाजिक दृष्टि से हितकारी क्षमताओं का विकास अधिकतम रूप से व्यक्ति में करती है।”

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ontinuous process of helping the individual to develop to the maximum of his capacity in the direction most beneficial to himself and to society.

-Emerystoops

 

क्रो तथा क्रो ने निर्देशन को परिभाषित करने का कहा है कि- निर्देशन लक्ष्य करना नहीं है। यह अपनी विचारधाराओं को दूसरों पर लादना नहीं है। यह उन निर्णयों का, जिन्हें एक व्यक्ति को अपने लिए निश्चित करना चाहिये, निश्चित करना नहीं है, यह दूसरों के दायित्वों को अपने ऊपर लेना नहीं है वरन् निर्देशन तो वह सहायता है जो एक व्यक्ति अन्य व्यक्ति को प्रदान करता है। इस सहायता से वह व्यक्ति अपने जीवन का पथ स्वयं ही प्रदर्शित करता है, अपनी विचारधारा का विकास करता है, अपने निर्णय निश्चित करता है तथा अपना दायित्व सम्भालता है।

 

“Guidance is not direction. It is not the imposition of one’s point of view upon another. It is not making decision for an individual, which he should make for himself. It is not carrying the burdens of another’s life. Rather guidance is assistance made available by competent counselors of any is to help him direct his life, develop his own point of view. make his own decisions and carry his own burden.”

-Crow and Crow

 

 

निर्देशन के उद्देश्य

निर्देशन एक सोद्देश्य क्रिया है, इसका एक निश्चित उद्देश्य होता है। उद्देश्यहीन कार्य में न तो कार्य करने वाले की रुचि रहती है और न ही कार्य ही उचित ढंग से पूरा होता है। निर्देशन प्रक्रिया के कुछ उद्देश्य रहते हैं जिनको आधार मानकर यह चलती है। ।

1. व्यक्ति को अपनी योग्यताओं व शक्ति का ज्ञान कराना ताकि वह अपनी क्षमता के अनुसार समाज को योगदान कर सके।

2. व्यक्ति को अपनी योग्यताओं, रुचियों तथा क्षमताओं को विकसित करने में सहयोग देना।

3. व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुरूप शैक्षिक एवं व्यावसायिक अवसरों का ज्ञान कराना।

4. व्यक्ति को संतुलित शारीरिक, मानसिक, भावात्मक एवं सामाजिक प्रगति में इस प्रकार सहायता देना कि वह अपने वातावरण के साथ सन्तोषजनक ढंग से समायोजित हो सके।

5. व्यक्ति को इस योग्य बनाना कि वह विभिन्न परिस्थितियों में अपनी समस्याओं का इस प्रकार समाधान करने योग्य हो जाय कि इससे वह स्वयं का तथा समाज का अधिक हित कर सके।

 

 

 

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