भारत में स्थापत्य कला | भारतीय स्थापत्यकला

भारत में स्थापत्य कला | भारतीय स्थापत्यकला

 

*मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो में चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित मंदिर आज भी चंदेल स्थापत्य की उत्कृष्टता का बखान कर रहे हैं। ये मंदिर ग्रेनाइट और लाल बलुआ पत्थर से बने हैं। इन मंदिरों का निर्माण 950-1050 ई. के बीच कराया गया था। यहां के मंदिरों में कंदरिया महादेव मंदिर सर्वोत्तम है। इस मंदिर का निर्माण संभवतः विद्याधर(11वीं शताब्दी) ने करवाया था। खजुराहो में 85 मंदिरों के निर्माण का उल्लेख मिलता है। ये वैष्णव, शैव, शाक्त एवं जैन धर्म से संबंधित  है।  यहां का मातंगेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर संभवतः राजा वंग काल में निर्मित हुआ। इन मंदिरों की निर्माण शैली नागर है। किसी किसी मंदिर में पंचायतन शैली अपनाई गयी है।

*जैन मंदिरों में पार्श्वनाथ मंदिर प्रसिद्ध है। यहां के अन्य मंदिर है- चौसठ योगिनी, ब्रह्या, दूल्हादेव मंदिर, लक्ष्मण, विश्वनाथ भागर आदि। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल म. प्र. के ऐतिहासिक स्थली खजुराहो का मंदिर, भीमबेटका की गुफाएं एवं सांची का स्तूप शामिल है।

*दशावतार मंदिर देवगढ उ. प्र. के (ललितपुर) में स्थित तथा यह मंदिर गुप्तकालीन है। प्राचीन भारत में गुप्त काल से सम्बंधित गुफा चित्रांकन के केवल दो उदाहरण उपलब्ध है। इनमें से एक अजंता की गुफाओ में किया गया चित्रांकन है। दूसरा उदाहरण बाघ की गुफाए है, जिनकी तिथि गुप्तकालीन है। इन गुफाओं के चित्र लोक जीवन से संबंधित है तथा अजता गुफाओं के चित्र बौद्ध धर्म से संबंधित है।

*माउंट आबू के दिलवाड़ा जैन मंदिर संगमरमर के बने है, जिनका निर्माण गुजरात के चालुक्य (सोलंकी) शासक भीमदेव प्रथम के सामंत विमलशाह ने करवाया था। यह जैन मंदिर अपनी नक्काशी एवं सुंदर मीनाकारी के लिए प्रसिद्ध है। पालिताणा का पवित्र जैन मंदिर गुजरात के भावनगर जिले की शवंजय पहाड़ियों पर अवस्थित है।

*एलीफेंटा के प्रसिद्ध गुफा मंदिरों का निर्माण राष्ट्रकूट शासकों द्वारा कराया गया था। यहां से कुल सात गुफाए मिली है, जिसमें से पांच गुफा मंदिर प्राप्त हुए है, जिनमें हिंदू धर्म (मुख्यतः शिव) से संबंधित मूर्तिया है। साथ ही यहाँ दो बौद्ध गुफाएं भी है। इन गुफाओं का निर्माण काल 5वी से 6वीं शती ई. माना जाता है। यहां से प्रसिद्ध त्रिमूर्ति शिव की प्रतिमा प्राप्त हुई है।

*एलोरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। यह शैलकृत गुफा मंदिरों के लिए जगप्रसिद्ध है। यहां कुल 34 शैलकृत गुफाएं है। ये गुफाएं विभिन्न कालों में बनी है और इनमें गुफा सं. 1 से 12 बौद्धों, 13 से 29 हिंदुओं और 30 से 34 जैनियों से संबंधित है, जो थोडे थोडे अंतराल पर बनी है। एलोरा का कैलाश मंदिर शैलकृत स्थापत्य का उदाहरण है। द्रविड शैली के इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम ने करवाया था।

*पश्चिमी भारत में प्राचीनतम शैलकृत गुफाएं नासिक, एलोरा एवं अजंता में हैं। ये तीनों स्थल महाराष्ट्र में स्थित है। नासिक की बौद्ध गुफाएं सुविख्यात है, उन्हें ‘पाण्डव लेनी’ कहा जाता है।

*राष्ट्रकूट शासकों के समय वैसे तो ब्राह्यण धर्म का महत्व था, किंतु ब्राह्यण धर्म की तुलना में जैन धर्म का अधिक प्रचार प्रसार था तथा इसे राजकीय संरक्षण भी प्राप्त था। राष्ट्रकूट शासफ. अमोघवर्ष का गुरु जैनाचार्य जिनसेन था जिसने आदिपुराण की रचना की । उस समय शासको तथा सांमतों के साथ साथ सेनापति पदों पर भी अनेक जैन धर्मानुयायियों की नियुक्ति की थी।

*अजंता की गुफाए वाकाटकों के अधीन राजसी संरक्षण और जागीरदारों द्वारा निर्मित करवाई गई थीं। अजंता की गुफा संख्या 16 में उत्कीर्ण मरणासन्न राजकुमारी का चित्र प्रशंसनीय है। इस चित्र की प्रशंसा करते हुए ग्रिफिथ, वर्गस एवं फर्गुसन ने कहा, “करुणा, भाव एवं अपनी कथा को स्पष्ट ढंग से कहने की दृष्टि से यह चित्रकला के इतिहास में अनतिक्रमणीय है।” गुफा संख्या 16 को वाकाटक शासक हरिषेण (475-500 ई.) के मंत्री वराहदेव ने बौद्ध संघ को दान में दिया था। अजंता के चित्र तकनीकी दृष्टि से विश्व में प्रथम स्थान रखते हैं। “इन गुफाओं में अनेक प्रकार के फूल-पत्तियों, वृक्षों तथा पशु आकृतियों की सजावट तथा बुद्ध एवं बोधिसत्वों की प्रतिमाओं के चित्रण में जातक ग्रंथों से ली गई कहानियों का वर्णनात्मक दृश्य के रूप में प्रयोग हुआ है ये चित्र अधिकतर जातक कथाओं को दर्शाते हैं।

See also  औरंगजेब की धार्मिक नीति का वर्णन कीजिए।

*पुरी स्थित कोणार्क का विशाल सूर्यदेव का मंदिर नरसिंह देववर्मन प्रथम चोडगंग ने बनवाया था। यह मंदिर 13वीं शताब्दी का है तथा यह अपनी विशिष्ट शैली के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का आधार एक विशाल चबूतरा है। इसके चारों ओर पत्थर के तराशे हुए बारह पहिए लगाए गए हैं और सूर्य के रथ का पूरा आभास देने के लिए चबूतरे के सामने जो सीढ़ियां हैं, उनमें सात अश्वों की स्वतंत्र मूर्तियां लगी हैं, मानो कि ये सातों अश्व, रथ को खींच रहे हों। कोणार्क के सूर्य मंदिर को ‘काला पैगोडा’ (Black Pagoda) भी कहा जाता है। इसे यूनेस्को द्वारा 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।

*लिंगराज मंदिर उड़ीसा के भुवनेश्वर में स्थित है। इस मंदिर की शैली नागर है। यह नागर शैली का सर्वोत्तम मंदिर है। लिंगराज मंदिर का सबसे आकर्षक भाग इसका शिखर है, जिसकी ऊंचाई 180 फीट है।। जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा राज्य के पुरी जिले में स्थित है। यह मंदिर नागर शैली में बना है। मोढेरा का सूर्य मंदिर गुजरात में स्थित है। इसका निर्माण 11 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा कराया गया था।

*अंकोरवाट मंदिर समूह का निर्माण कंपूचिया (वर्तमान कंबोडिया) के शासक सूर्यवर्मन II द्वारा 12वीं शताब्दी के प्रारंभ में अपनी राजधानी यशोधरपुर (वर्तमान अंगकोर) में कराया गया था। विष्णु को समर्पित द्रविड़ शैली का यह मंदिर विश्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर समूह है। बोरोबुदुर का प्रख्यात स्तूप इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर स्थित है। यह यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त एक ‘विश्व विरासत स्थल’ (World Heritage Site) है।

*पाण्डयों के राज्यकाल में द्रविड़ शैली में मंदिरों का निर्माण हआ। इस का काल में मंदिर छोटे होते थे, किंतु उनके प्रांगण के चारों ओर अनेक प्राचीर बनाए जाते थे। ये प्राचीर तो सामान्य होते थे, किंतु इनके प्रवेश द्वार, जिन्हें ‘गोपनरम’ कहा जाता था, भव्य एवं विशाल और प्रचुर मात्रा में शिल्पकारिता शली से अलंकृत होते थे।

*मामल्ल शैली (640-674 ई.) का विकास नरसिंह वर्मन प्रथम महामल्ल के काल में हुआ। इसके अंतर्गत दो प्रकार के स्मारक बने – मण्डप तथा एकाश्मक मंदिर, जिन्हें ‘रथ’ कहा गया है। *पल्लव कला की राजसिंह शैली, जिसका प्रारंभ नरसिंह वर्मन द्वितीय राजसिंह ने किया था, के तीन मंदिर महाबलीपुरम से प्राप्त होते हैं- शोर मंदिर (तटीय शिव मंदिर), ईश्वर मंदिर तथा मुकुंद मंदिर। शोर मंदिर इस शैली का प्रथम उदाहरण है। महाबलीपुरम् में रथ मंदिरों का निर्माण पल्लव शासकों द्वारा करवाया गया था। ये मंदिर एकाश्म पत्थर से निर्मित हैं। *पल्लवकालीन मामल्ल और मंत्री बने रथों या एकाश्मक मंदिरों में धर्मराज रथ सबसे बड़ा एवं द्रौपदी दृष्टि सबसे छोटा है। इसमें किसी प्रकार का अलंकरण नहीं मिलता तथा या सिंह एवं हाथी जैसे पशुओं के आधार पर टिका हुआ है।

*श्रीनिवासननल्लूर का कोरंगनाथ मंदिर चोल शासक परांतक रूप काल में निर्मित हुआ था। तंजौर में राजराजेश्वर अथवा बृहदीश्वर मंदिर का निर्माण राजराज प्रथम के काल में निर्मित हुआ था। इसके निर्माण में ग्रेनाइट पत्थरों का प्रयोग किया गया है। राजराज के पुत्र राजेंद्र चौल यह शासनकाल में गंगैकोंडचोलपुरम् में मंदिर का निर्माण हुआ।

*सोनगिरि दतिया (मध्य प्रदेश) से 15 किमी. दूरी पर स्थित है है यह दिगंबर जैनियों का पवित्र स्थान है। सोनगिरि के चारों ओर सफेद जैन मंदिर स्थापित हैं। वर्तमान में यहां 77 जैन मंदिर पहाड़ी पर और 26 गांव में स्थित हैं। इस प्रकार इनकी कुल संख्या 103 है। पहाड़ी पर स्थित 57वां मंदिर मुख्य मंदिर है, जो भगवान चंद्रप्रभु से संबंधित है।

See also  चंद्रगुप्त द्वितीय की उपलब्धियों का वर्णन

*विरूपाक्ष मंदिर कर्नाटक राज्य के हम्पी (Hampi) जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जो यहां विरूपाक्ष के नाम के जाने जाते हैं।

*नागर, द्रविड़ तथा बेसर भारतीय मंदिर वास्तु की तीन मुख्य शैलिया है। नागर शैली समस्त उत्तरी भारत में प्रचलित है। उड़ीसा के मंदिर सृष्ट रूप से इसी शैली के है। द्रविड़ शैली का प्रसार दक्षिण भारत विशेषकर कृष्णा नदी एवं कुमारी अंतरीप के मध्य (तमिलनाडु) में था। बेसर शैली का विकास, नागर एवं द्रविड़ शैलियों के मिश्रण से हआ। कन्नड़ प्रदेश के अंतिम चालुक्य शासकों के द्वारा प्रयुक्त होने के कारण इस शैली को चालुक्य शैली भी कहते हैं।

*पंचायतन शब्द मंदिर रचना-शैली को निर्दिष्ट करता है। बद्रीनाथ कपूर द्वारा रचित वृहत प्रामाणिक हिंदी कोश (मूल संपादक- आचार्य रामचंद्र वर्मा) के अनुसार, पंचायतन एक पुल्लिंग शब्द है, जो किसी देवता और उसके साथ के चार देवताओं की मूर्तियों के समूह के लिए प्रयुक्त होता है, जैसे शिव-पंचायतन, राम-पंचायतन। बदरीनाथ मंदिर में पांच मूर्तियां है जो बदरी पंचायतन के नाम से प्रसिद्ध हैं। राजस्थान के उदयपुर में स्थित जगदीश मंदिर शिल्पकला की दृष्टि से अनोखा है। यह मंदिर पंचायतन शैली का है। चार लघु मंदिरों से परिवृत्त होने के कारण इसे ‘पंचायतन’ कह गया है।

*प्रसिद्ध नैमिषारण्य तीर्थ उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित है। यहां महर्षि दधीचि ने देवताओं को अपनी अस्थियां दान दी थीं, जिससे निर्मित वज्र द्वारा देवराज इंद्र ने दैत्यों का वध किया था।

 

 

महत्तवपूर्ण प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1. बोरोबुदुर का प्रख्यात स्तूप कहाँ पर स्थित है?

उत्तर- बोरोबुदुर का प्रख्यात स्तूप इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर स्थित है।

प्रश्न 2. तंजौर में राजराजेश्वर अथवा बृहदीश्वर मंदिर का निर्माण किस काल में निर्मित हुआ था?

उत्तर- तंजौर में राजराजेश्वर अथवा बृहदीश्वर मंदिर का निर्माण राजराज प्रथम के काल में निर्मित हुआ था।

प्रश्न 3. कोणार्क के सूर्य मंदिर को ‘काला पैगोडा’ (Black Pagoda) भी कहा जाता है। इसे यूनेस्को द्वारा कब विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया?

उत्तर- कोणार्क के सूर्य मंदिर को ‘काला पैगोडा’ (Black Pagoda) भी कहा जाता है। इसे यूनेस्को द्वारा 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।

प्रश्न 4. एलोरा गुफा कहाँ स्थित है।

उत्तर- एलोरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। यह शैलकृत गुफा मंदिरों के लिए जगप्रसिद्ध है। यहां कुल 34 शैलकृत गुफाएं है।

प्रश्न 5. पुरी स्थित कोणार्क का विशाल सूर्यदेव का मंदिर किसने बनवाया था?

उत्तर- पुरी स्थित कोणार्क का विशाल सूर्यदेव का मंदिर नरसिंह देववर्मन प्रथम चोडगंग ने बनवाया था।

 

इन्हें भी पढे-

 

Disclaimer -- Hindiguider.com does not own this book, PDF Materials, Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet or created by HindiGuider.com. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: 24Hindiguider@gmail.com

Leave a Reply