मल्टी मीडिया दृष्टिकोण

शैक्षिक तकनीकी-मल्टी मीडिया दृष्टिकोण/बहुमाध्यम उपागम, विशेषतायें | Multimedia Approach in Hindi

शैक्षिक तकनीकी में नवाचार (INNOVATIONS IN EDUCATIONAL TECHNOLOGY)

नवाचार एक ऐसा विचार है जिसमें व्यक्ति नवीनता का अनुभव करता है। यह पूर्व नियोजित, नवीन एवं विशिष्ट परिवर्तन है, जिसमें विशिष्टता के गुण निहित रहते है और इनका उद्देश्य वर्तमान परिस्थितियों में सुधार करना होता है। वास्तव में “नवाचार नवीन व पुरातन का एक ऐसा संगम है जो एक नवीन इकाई के रूप में अपनी विशिष्टताओं के साथ प्रकट होता है।”

तकनीकी एवं वैज्ञानिक विकास से शिक्षा का रूप परिवर्तित होता जा रहा है। उस पर औद्योगिकीकरण का काफी प्रभाव पड़ता है, जनसंचार एवं यातायात के साधनों ने जनसंख्या की गतिशीलता बढ़ाई है। ज्ञान का विस्फोट इतनी तीव्र गति से हो रहा है कि शैक्षिक तकनीकी के क्षेत्रमा नवाचार बढ़ते चले जा रहे हैं। एक अच्छे शिक्षक को इन नवाचारों से अवगत होना चाहिए और आवश्यकतानुसार प्रभावशाली शिक्षण के लिये इनका उचित उपयोग करना चाहिए।

ये नवाचार निम्नांकित हैं-

1. मल्टी मीडिया एप्रोच (Multi Media Approach)।

2. पर्सनलाइज्ड सिस्टम ऑफ इन्स्ट्रक्शन (PSI)।

3. कम्प्यूटर असिस्टैड इन्स्ट्रक्शन (CAD)।

4. सैटेलाइट सम्प्रेषण (Sattelite Communication)।

5. मौड्यूलर उपागम (Modular Approach)।

6. रेडियोविजन (Radiovision)।

7. इन्टरनेट (Internet)।

8. ई-मेल (E-mail)।

9. सीडी-रोम (CD-ROM)।

10. सीमुलेटेड शिक्षण (Simulated Teaching)।

11. अन्तःक्रिया प्रणाली (Interaction System)।

12. सिस्टम्स् एप्राच (Systems Approach)।

13. अभिक्रमित अध्ययन (Programmed Instruction)।

 

इस पोस्ट में प्रथम नवाचारों पर प्रकाश डाला जा रहा है। शेष पर इसी ब्लाॅग में अन्यत्र पृथक पोस्ट के रूप में चर्चा की गयी है।

 

बहुमाध्यम उपागम/मल्टी मीडिया दृष्टिकोण(MULTI MEDIA APPROACH)

बहुमाध्यम उपागम/मल्टी मीडिया दृष्टिकोण से तात्पर्य है प्रकरण स्पष्ट करने के लिये शिक्षण सामग्री को विविध रूपों में प्रयोग करना। दूसरे शब्दों में सम्प्रेषण माध्यम को अनुदेशन की विधि प्रविधियों के साथ प्रयुक्त करना ही बहुमाध्यम उपागम/मल्टी मीडिया दृष्टिकोण है।

“It is a learning-teaching strategy which is designed to achieve certain goals, to fulfill certain desires with the maximum utilization of different techniques and media in a proper combination.”

बहुमाध्यम उपागम का अर्थ बहुत से माध्यमों के प्रयोग से नहीं है वरन् बहुत से माध्यमों तथा विधाओं के उपयुक्त सुनियोजित उपयोग से है।

डॉ० भोरास्कर के शब्दों में-

Multimedia approach means the maximum utilization of effectiveness of different techniques and media in proper combination to achieve the desired end.

शिक्षण में बहुमाध्यम उपागम को ‘अनुदेशनात्मक विकास’ (Instructional Development) भी कहा जाता है। इस शैक्षणिक, मनोरंजन तथा प्रभावशाली अभिव्यक्ति हेतु प्रयोग करते है। यह उपागम संचार, सूचना, अनुदेशन, अलंकरण (Enrichment) मनोरंजन तथा प्रतिपादन (Persuasion) सम्बन्धी सभी कार्य करता है। नेशनल सोसाइटी फॉर दी स्टडी ऑफ एजुकेशन ने इसे परिभाषित करते हुए कहा है-

“It is the methodology based on the principles that a variety of audio-visual media and experiences correlated with additional instructional materials reinforce the value of each other.”

बहुमाध्यम दृष्टिकोण एक ऐसा पद है जिसमें विभिन्न माध्यमों में अनेक सॉफ्टवेयर्स (Software) के समूहों अथवा उनका एकत्रीकरण सम्मिलित होता है। यह एक ऐसा सामूहिक प्रस्तुतीकरण है जिसमें विषय-वस्तु, ग्राफिक्स, चित्र, आवाज, संगीत, प्रतिकृति तथा वीडियों इमेज (Video Image) आदि का प्रयोग कम्प्यूटर के द्वारा किया जाता है।

मैरीयम वैवस्टर्स कालेजियेट डिक्शनरी में इसे “Using, involving, or encompassing several media” कहा गया है। दूसरे शब्दों में यह एक ऐसा अधिगम उपागम है, जिसमें अनेक माध्यमों का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा एक ही विषय वस्तु को विविध प्रकार की शिक्षण-सहायक-सामग्री के प्रयोग द्वारा सुगमता से निर्धारित उद्देश्य की प्राप्ति हेतु प्रयुक्त किया जाता है, तब कहा जाता है कि हम मल्टी मीडिया दृष्टिकोण द्वारा पढ़ा रहे हैं।

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शिक्षण-अधिगम के लिये, मल्टी मीडिया दृष्टिकोण से अभिप्राय, शिक्षण-अधिगम की प्रभावशीलता में वृद्धि करने के लिये एक से अधिक माध्यमों का प्रयोग करना है।

एन० वैकेटैया (1996) बहुमाध्यम उपागम की संप्रत्यय पर चर्चा करते हुये कहते हैं-

“Media combinations are generally refered to as multimedia system. Multi mediation means ‘Many-media’. The term ‘multimedia’ instructional system refers to the uses of appropriate and carefully selected varieties of learning experiences which are presented to the learner through selected varieties of learning experiences which are presented to the learner through selected teaching strategies which reinforce and strengthen one another so that the learner will achieve per-determined and desired behavioral objectives.”

दीपिका बी० शाह (1988) बहुमाध्यम की परिभाषा देते हुये कहती हैं कि इसका तात्पर्य एक से अधिक माध्यम से है, जो एक सम्प्रेषण में क्रमशः अथवा साथ-साथ प्रयोग किये जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार विभिन्न माध्यम विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु प्रयोग किये जाते हैं, अतः विभिन्न माध्यमों का अलग (In isolation) प्रयोग न करके उनका एकीकृत (Integrated) रूप में प्रयोग किया जाना चाहिए।

बहुमाध्यम उपागम के द्वारा अधिगम अनुभव अपने स्वाभाविक रूप में छात्रों को प्राप्त होते है-

“Multimedia learning experiences have the advantage of appealing to the individual, the learners pace, interest and readiness.”

निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है-“शिक्षण अधिगम में बहुमाध्यम उपागम का अभिप्राय है, संचार की आधुनिक तकनीकियो का विधिवत् एवं सुचारु रूप से शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग करना, जिससे व्यक्तिपरक (स्व-अध्ययन) शिक्षण को सुधार कर अधिगम को प्रभावशाली बनाया जा सके।” बहुमाध्यम उपागम शिक्षक के हाथ में एक सबल उपकरण है।

बहुमाध्यम उपागम में कुछ विधायें प्रेरणा देने के लिये, कुछ मूलभूत तत्वों का ज्ञान प्रदान करने के लिये तथा कुछ अन्य का प्रयोग Misconceptions को दूर करने तथा अवबोध को ज्यादा अच्छे स्तर की बनाने के लिये उपयोग में लाते हैं। ये उपागम ‘अधिगम पैकेज’ तथा ‘क्रास मीडिया एप्रोच’ जैसे ही होते हैं। अनेक परिस्थितियों में इन दोनों का भी प्रयोग एक साथ किया जाता है।

 

बहुमाध्यम उपागम की मुख्य विशेषतायें, आवश्यकतायें तथा महत्व (Need, Importance & Characteristics of Multimedia Approach)

बहुमाध्यम उपागम की आवश्यकताओं, महत्व तथा मुख्य विशेषताओं को नीचे बिन्दुवार प्रस्तुत किया गया है-

  1. शिक्षा की बढ़ती माँग को परा करने के लिये तथा छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिय बहुमाध्यम उपागमों का प्रयोग छात्रों को उनकी योग्यतानुसार पाठ्य-सामग्री को बोधगम्य बनाने का एक अच्छा उपकरण है।
  2. शोध अध्ययन बताते हैं कि एक उपागम की अपेक्षा विविध/बहुमाध्यम-उपागम का प्रयोग शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को ज्यादा सरल, सुगम तथा प्रभावशाली बनाता है।
  3. बहुमाध्यम उपागम, औपचारिक तथा अनौपचारिक तथा निःअपचारिक (Formal, Non-formal & Informal) सभी प्रकार की शिक्षा प्रणालियों में उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।
  4. बहुमाध्यम उपागम, दूरवर्ती शिक्षा के क्षेत्र में काफी सफलता के साथ प्रयोग किये जा रहे हैं।
  5. शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी यह काफी लोकप्रिय साधन बनते जा रहे हैं।
  6. बहुमाध्यम उपागम के प्रयोग से छात्रों को अधिगम के लिये प्रेरणा प्राप्त होती है तथा शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया रोचक लगने लगती है।
  7. बहुमाध्यम उपागम के उपयोग से छात्रों के लिये विषय-वस्तु ज्यादा स्पष्ट एवं बोधगम्य हो जाती है।
  8. बहुमाध्यम उपागम के माध्यम से शिक्षक कठिन एवं जटिल संप्रत्ययों को सरलता से पढ़ाकर समय एवं शक्ति दोनों की बचत करने में मदद करता है।
  9. बहुमाध्यम उपागम द्वारा पढ़ाये गये पाठ क्योंकि छात्रों को अधिक स्पष्ट तथा बोधगम्य होते हैं अतः उन्हें पढ़ाये गये पाठों को रटने की जरूरत नहीं होती।
  10. बहुमाध्यम उपागम के प्रयोग से छात्रों द्वारा प्राप्त ज्ञान को अधिक स्थायी बनाया जा सकता है।
  11. बहुमाध्यम उपागम जनसाधारण को सामान्य जानकारी प्रदान करने में सहायता प्रदान करता है।
  12. बहुमाध्यम उपागम अधिगमकर्ता पर अधिक नियन्त्रण रख सकते हैं, वे अपनी आवश्यकतानुसार अभ्यास कर सकते हैं तथा प्रगति की जाँच कर सकते हैं।
  13. बहुमाध्यम उपागम छात्रों का विषय-वस्तु पर ध्यान केन्द्रित करने में सहायक होता है।
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बहुमाध्यम उपागम के प्रयोग की प्रक्रिया (Process of Using Multimedia Approach)

  1. सर्वप्रथम अंतिम व्यवहारों का निर्धारण व परिभाषीकरण करना चाहिए।
  2. पाठ्य-वस्तु तथा शिक्षण नीतियों (Strategies) की व्यवस्था करनी चाहिए।
  3. फिर शिक्षण नीति, विधि तकनीकियों का विविध विधाओं के साथ प्रयोग करना चाहिए।
  4. मूल्यांकन करना चाहिए।
  5. अन्त में निदान के अनुसार छात्रों को सुधारात्मक अनुदेशन तथा पृष्ठपोषण प्रदान करना चाहिए।

 

उदाहरण- 1. शिक्षण पहले व्याख्यान विधि से प्रकरण की प्रस्तावना तैयार करता है, जिससे छात्रा को प्रकरण के विषय में समग्र जानकारी हो जाये।

2. फिर वह अभिक्रमित-अध्ययन सामग्री तथा रिकॉर्डिंग आदि के द्वारा छात्रों को मूलभूत तत्वों का ज्ञान प्रदान करता है।

3. छात्रों को प्रकरण पूरी तरह से स्पष्ट करने के लिये सेमीनार, अन्तःक्रिया, वार्तालाप या अन्य किसी विधा का प्रयोग किया जाता है। साथ ही आवश्यकतानुसार आगे के अध्ययन के लिये व्यक्तिगत निर्देशन भी छात्रों को प्रदान करता है।

4. फिर छात्रों को विस्तृत अध्ययन के लिये सन्दर्भ पुस्तकालय अध्ययन तथा स्वतन्त्र-स्वाच्याय विधि आदि का प्रयोग करने के लिये प्रेरित किया जाता है।

5. कौशलों की प्राप्ति तथा उनके संश्लेषण हेतु फील्ड वर्क. भम्रण, लैबोरेटरी में कार्य या वर्कशाप में कार्य के अवसर आदि प्रदान किये जा सकते हैं।

6. प्रकरण सम्बन्धी निष्कर्षों तक पहुँचने के लिये सामुहिक वार्तालाप (Group Discussion), पैनल वार्तालाप तथा सिम्पोजियम आदि का प्रयोग किया जा सकता है।

इसके पश्चात् मूल्यांकन तथा सुधारात्मक अनुदेशन एवं पृष्ठपोषण की बारी आती है।

बहुमाध्यम उपागम से छात्रों की थकान दूर होती है, तो एक ही विधा से उत्पन्न बोरियत खत्म होती है। इसमें अधिगम अनुभव आनन्ददायक होते हैं और प्रत्येक छात्र को अपनी योग्यता तथा गति के अनुसार अध्ययन के अवसर प्राप्त होते हैं। छात्र इस उपागम द्वारा ज्यादा सक्रिय रूप से कक्षा कार्य में रुचि लेते हैं तथा गहन अध्ययन में समर्थ होते हैं।

आजकल ‘बहुमाध्यम किट’ (Multimedia Kit) काफी उपलब्ध हैं, जिनका आधार यही उपागम है। मल्टीमीडिया किट बनाने के लिये निम्नांकित सोपानों का प्रयोग होता है-

  1. पाठ्य-वस्तु तथा उसके उद्देश्य का,
  1. उपयुक्त शिक्षण सहायक सामग्री का चयन,
  1. शिक्षण नीति, व्यूह रचना तथा तकनीकी का चुनाव,
  1. उपयुक्त माध्यम, विधा तथा तकनीकी का मिला-जुला उपयोग करने के लिये निर्देश,
  1. क्रमसंख्या चार में दी गयी चीजों को उपर्युक्त क्रम में सुव्यवस्थित करना,
  1. मूल्यांकन की व्यवस्था करना।

 

मल्टीमीडिया किट बनाने के लिये सोपान
मल्टीमीडिया किट-निर्माण प्रक्रिया के सोपान

 

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