शिक्षण नीतियाँ का अर्थ, परिभाषा व विशेषतायें

शिक्षण नीतियाँ का अर्थ, परिभाषा व विशेषतायें | शिक्षण नीतियाँ तथा शिक्षण विधियाँ में अन्तर

शैक्षिक तकनीकी परम्परागत शिक्षण कला के विचार को वैज्ञानिक आधार प्रदान करने वाली तकनीकी है, जो शैक्षिक प्रभावों को विभिन्न नीतियों, विधियों एवं युक्तियों के माध्यम से नियन्त्रित करती है, विकसित करती है और शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाती है। इस प्रकार से यह शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने की ओर सदैव अग्रसर रहती है।
 

 

शिक्षण नीतियाँ(Teaching Strategies) का अर्थ


शिक्षण नीतियाँ दो शब्दों से मिलकर बना है- शिक्षण + नीतियाँ (Teaching and Strategies)| शिक्षण एक अन्तःक्रियात्मक प्रक्रिया है जो कक्षागत परिस्थितियों में वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए छात्र और शिक्षकों के द्वारा सम्पन्न की जाती है। नीतियाँ योजना, नीति, चतराई तथा कौशल की ओर संकेत करती हैं। कौलिन इंगलिश जैम शब्दकोष (The Collin English Gem Dictionary 1988) के अनुसार नीति का अर्थ युद्ध कला तथा युद्ध कौशल है। इसको अधिकतर युद्ध में सेना को उचित स्थान (मोर्चे) पर खड़े करने की तथा लड़ने की कला के सन्दर्भ में प्रयोग किया जाता है। युद्ध विज्ञान की ‘नीति’ शब्द को शैक्षिक तकनीकी में लिया गया है। यहाँ पर नीतियों से अभिप्रायः ऐसी कौशलपर्ण व्यवस्था से है, जिन्हें कक्षागत परिस्थितियों में शिक्षक अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए तथा छात्रों के व्यवहारों में वांछित परिवर्तन लाने के लिए करता है।

 

 
शिक्षण नीतियों की परिभाषाएँ (Definitions of Teaching Strategies)

शिक्षण नीतियों की विभिन्न विद्वानों ने निम्न प्रकार से परिभाषायें दी हैं-

(1) डेविस (Davies)-“नीतियाँ शिक्षण की व्यापक विधियाँ हैं। “Strategies are broad methods of teaching.”
 
(2) स्टोन्स तथा मॉरिस (Stones & Morris)- “शिक्षण नीति, पाठ की एक सामान्यीकृत योजना है, जिसमें वांछित व्यवहार परिवर्तन की संरचना अनुदेशन के उद्देश्यों के रूप में सम्मिलित होती है साथ ही इसमें युक्तियों की योजनाएँ भी तैयार की जाती हैं।
“Teaching strategy is a generalized plan for a lesson which includes desired learner behavior in terms of goals, instructions and an outline of planned tactics necessary to implement strategy.”
 
(3) स्ट्रेसर (Strasser)- “शिक्षण नीतियाँ वे योजनाएँ होती है जिसमें शिक्षण के उद्देश्यों, छात्रों के महत्त्व दिया जाता है। व्यवहार परिवर्तन, पाठ्य-वस्तु, कार्य-विश्लेषण, अधिगम अनुभव तथा छात्रों की पृष्ठभूमि आदि को विशेष महत्व दिया जाता है।

“Teaching strategy is that plan which lays special emphasize on teaching objectives, behavioral changes, content, task analysis, learning experiences and background factors or students.”
शिक्षण प्रारम्भ करने से पूर्व ही शिक्षक कक्षा के लिए प्रयोग हेतु उपयुक्त शिक्षण नीतियों का चयन कर लेता है। शिक्षण नीतियों में अनेक कारक होते हैं जो सम्मिलित रूप से शिक्षण प्रक्रिया को सशक्त बनाने का प्रयास करते हैं और शिक्षण की प्रभावशीलता बढाते हैं।
 

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शिक्षण नीतियों की विशेषताएँ (Characteristics of Teaching Strategies)

(1) शिक्षण नीतियाँ, शिक्षण कार्यों के किसी प्रतिमान की ओर संकेत करती हैं।
(2) शिक्षण नीतियाँ, शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होती हैं।
(3) ये व्यवहार परिवर्तन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य करती हैं।
(4) ये कार्य विश्लेषण और उसकी संरचना में महत्त्वपूर्ण हैं।
(5) ये शिक्षक की कार्य निष्ठा बढ़ाती हैं और उसकी शिक्षण कुशलता में वृद्धि करती हैं।
(6) ये शिक्षण प्रक्रिया को उन्नत तथा वैज्ञानिक आधार प्रदान करती हैं।
(7) इनके माध्यम से बुद्धि, अध्यवसाय, स्पष्ट चिन्तन तथा कार्यशालाओं के प्रत्यय का विकास होता है।
(8) शिक्षण नीतियों में शिक्षा दर्शन, अधिगम सिद्धान्त, पृष्ठपोषण आदि तत्त्व निहित रहते हैं।
(9) ये शिक्षण प्रक्रिया को क्रमबद्ध तथा सार्थक बनाती हैं कर लेती हैं।
(10) शिक्षण नीतियाँ, शिक्षक के नियन्त्रण में रहती हैं और वह आवश्यकतानुसार उनमें परिवर्तन उनमें परिवर्तन कर लेती हैं।

 
 

शिक्षण विधियाँ (Teaching Methods)

शिक्षण नीतियाँ तथा शिक्षण विधियाँ, दोनों के अपने विशिष्ट क्षेत्र तथा अर्थ हैं। भ्रमवश बहुत से लोग इन्हें एक-दूसरे के पर्याय शब्द मान लेते हैं। शिक्षण विधि में पाठ्य-वस्तु’ महत्त्वपूर्ण होती है। जैसी पाठ्य-वस्तु की प्रकति होती है उसी प्रकार की शिक्षण विधि का चयन किया जाता है। दूसरे शब्दों में पाठ्य-वस्तु के प्रस्तुतीकरण की शैली को शिक्षण विधि कहा जाता है। (It is a style of the presentation of content in classroom).

विधि अंग्रेजी भाषा के Method शब्द का पर्याय है। Method शब्द लैटिन (Latin) भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है Mode या way रास्ता या अथवा माध्यम।

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प्रो० एन० वैद्य (N. Vaidya) ने विधियों का सीमांकन करते हुए लिखा है-

“Here, it means methods of delivering knowledge and transmitting of scientific (teaching) skills by a teacher to his pupils and their comprehension and application by them in the process of studying and learning.”
 
एक शिक्षक के लिए आवश्यक है कि उसे शिक्षण विधियों का ज्ञान हो ताकि वह आवश्यकता और परिस्थितियों के अनुसार किसी भी उपयुक्त विधि का प्रयोग कर अपने शिक्षण कार्य को सचारु रूप से चला सके। शिक्षण विधियाँ शिक्षक का मार्ग-दर्शन करती हैं कि वह अपने छात्रों को किस प्रकार से शिक्षा प्रदान करें। यह सत्य है कि जिस प्रकार से सही रास्ते के अभाव में एक व्यक्ति अपने निर्दिष्ट स्थान पर नहीं पहुँच सकता, उसी प्रकार बिना उचित विधि के उपयोग के छात्रों को सही ज्ञान नहीं दिया जा सकता।

एसोसिएशन ऑफ इण्डियन यूनीवर्सिटीज के अनुसार-

“Method is simply the means of blending the component of living subject matter, enquiring attitudes and lively interests in such a way that it makes for creative teaching and does not allow the dull job of getting a degree to become an end in itself.”
 

 

शिक्षण नीतियाँ तथा शिक्षण विधियाँ में अन्तर-
 

शिक्षण नीतियाँ (Teaching Strategies) शिक्षण विधियाँ (Teaching Methods)
 1. शिक्षण नीतियों का चयन उद्देश्यों के आधार पर किया जाता है। 1. शिक्षण विधियों के चयन में पाठ्य-वस्तु की प्रकृति पर ध्यान दिया जाता है।
2. शिक्षण नीतियों में व्यवहारों और सम्बन्धों का स्थान महत्त्वपूर्ण है। 2. इनमें पाठ्य-वस्तु तथा उसका प्रस्तुतीकरण  महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
3. शिक्षण नीतियाँ शिक्षण को विज्ञान के रूप में मानती हैं। 3. शिक्षण विधियाँ शिक्षण को कला के रूप में मानती हैं।
4. शिक्षण नीतियों का मुख्य कार्य उपयुक्त सीखने की परिस्थितियाँ उत्पन्न करना है।

4. शिक्षण विधियों का मुख्य कार्य पाठ के प्रस्तुतीकरण को अधिक प्रभावशाली बनाना
होता है।

5. शिक्षण नीतियों के मूल्यांकन का मापदण्ड उद्देश्यों की प्राप्ति होता है। 5. शिक्षण विधियों के मूल्यांकन का मापदण्ड पाठ्य-वस्तु पर अधिकार प्राप्त करना।
होता है (Command on the Content)।
6. इसमें सूक्ष्म उपागम (Micro Teaching) का अनुसरण किया जाता है। 6. इसमें स्थूल उपागम (Macro Teaching) को अपनाया जाता है।
7. यह Modern human organization theory का उपहार है। 7. यह Classical human organization theory की देन है।

 

डॉ० शर्मा ने इनमें अन्तर स्पष्ट करते हुये लिखा है, “कुछ शिक्षण विधियों को शिक्षण नीतियों (Teaching Strategies) की भी संज्ञा दी जाती है। परन्तु जब इन्हें शिक्षण नीति कहते हैं तब उनका लक्ष्य बदल जाता है। व्याख्यान को शिक्षण विधि मानते हैं परन्तु जब व्याख्यान को किसी विशिष्ट उद्देश्य की प्राप्ति के लिये प्रयोग करते हैं तब उसे शिक्षण नीति कहते हैं। शिक्षण विधियों में प्रविधियों (Techniques) की सहायता ली जाती है। शिक्षण-नीतियों में शिक्षण युक्तियों (Teaching Tactics) की सहायता लेते हैं। शिक्षण प्रविधियों का चयन पाठ्य-वस्तु की प्रकृति के आधार पर करते हैं तथा शिक्षण युक्तियों का चयन अधिगम के स्वरूपों के आधार पर किया जाता है, जिससे अधिगम उद्देश्य की प्राप्ति होती है।

 

 

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