उपलब्धि परीक्षण की विशेषताएँ (Characteristic of Achievement Test)
एक उत्तम परीक्षण में लगभग वही विशेषताएँ निहित होनी चाहिये जो कि एक उत्तम मनोवैज्ञानिक परीक्षण के लिए आवश्यक हैं। ये निम्नलिखित हैं-
(i) उत्तम परीक्षण का निश्चित उद्देश्य निर्धारित होना चाहिये।
(ii) उत्तम परीक्षण की पाठ्य-वस्तु छात्रों के स्तर क्षमताओं योग्यताओं, रुचियों एवं क्षमताओं के अनकल होनी चाहिये जिससे कि वह उचित रूप से उपलब्धि का मापन कर सके।
(iii) उत्तम उपलब्धि परीक्षण व्यावहारिक दष्टिकोण से उपयोगी तथा धन, समय एवं व्यक्ति का दष्टिकोण से मितव्ययी होना चाहिये।
(iv) इसक प्रशासन, फलांकन एवं विवेचन की विधि सुगम, स्पष्ट एवं वस्तनिष्ठ होनी चाहिएँ जिससे एक मामूली अध्यापक भी इसका उपयुक्त भाँति प्रयोग कर सके।
(v) इसकी विषय सोमग्री व्यापक होनी चाहिए अर्थात जब भी कोई विषय पर उपलब्धि परीक्षण की रचना करनी हो, यह ध्यान रखना चाहिए कि उस विषय के समस्त क्षेत्रों से पदों को परीक्षण में स्थान मिल रहा है या नहीं। उदाहरणार्थ, गणित के उपलब्धि परीक्षण में हमें अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित. सांख्यिकी एवं त्रिकोणमिति समस्त क्षेत्रों से प्रश्नों को सम्मिलित करना होता है तभी हमारा परीक्षण व्यापक कहलायेगा।
(vi) उत्तम उपलब्धि परीक्षण के लिए यह भी आवश्यक है कि विभेदकारी होना चाहिए कि किसी कक्षा के श्रेष्ठ एवं निम्न बालकों में विभेद कर सके।
(vii) उत्तम उपलब्धि परीक्षण विश्वसनीय होना चाहिये। विश्वसनीयता से आशय है कि आज वह जिस अमुक छात्र की उपलब्धि के विषय में इंगित करे एक सप्ताह बाद भी लगभग वही बात कहे।
(viii) इन सबके अतिरिक्त, उसे वैध भी होना चाहिए अर्थात् अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने वाला होना चाहिए।
मापन उपलब्धि परीक्षणों की विश्वसनीयता (Reliability)
प्रायः समस्त स्तरों पर उपलब्ध मापन प्रविधियों की विश्वसनीयता सन्तोषजनक ज्ञात हुई। वस्तुनिष्ठ परीक्षणों की अपेक्षाकत निबन्धात्मक परीक्षाओं की विश्वसनीयता कम पाई जाती है क्योंकि निबन्धात्मक परीक्षाएँ आत्मनिष्ठ तत्वों से प्रभावित होती हैं। उपलब्धि परीक्षणों की विश्वसनीयता ज्ञात करने में पुनर्परीक्षण विधि का प्रयोग अनुपयुक्त होता है क्योंकि इसमें स्मृति तत्व का विशेष रूप से प्रभाव पड़ता है। अतएव अधिकांशतः उपलब्धि परीक्षणों की विश्वसनीयता ज्ञात करने के लिए समान्तर प्रारूप विधि, अर्ध-विच्छेद विधि तथा कूडर रिचर्डसन सूत्र का प्रयोग किया जाता है।
मापन उपलब्धि परीक्षणों की वैधता (Validity)
समस्त भाँति के उपलब्धि परीक्षणों की वैधता को-
(अ) पूर्वकथन द्वारा,
(ब) पाठ्य-वस्तु द्वारा
(स) ज्ञात समूह द्वारा तथा
(द) सूचनाओं द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।
सर्वप्रथम, पूर्वकथन द्वारा वधता ज्ञात करने के लिए अध्यापक द्वारा भविष्यवाणी किये गये अको तथा परीक्षणों में प्राप्त किये गये अंको के मध्य सह-सम्बन्ध ज्ञात किया जाता है। पूर्वकथित वधता में अध्यापक की आत्मीयता का भी प्रभाव पड़ता है। दूसरे पाठय-वस्तु के आधार पर भी उपलब्धि परीक्षण की वैधता को ज्ञात किया जा सकता है। इसमें किसी विशेषज्ञ की सहायता से यह ज्ञात किया जाता है कि परीक्षण की पाठ्य-वस्तु उद्देश्यों की पूर्ति कर रही है अथवा नहीं उदाहरणार्थ-एक ऐसा परीक्षण जिसका उद्देश्य शाब्दिक, आंकिक तर्क आदि योग्यताओं का मापन करना है अतएव उस परीक्षण के पदों की पाठ्य-वस्तु (Content) भी इन्हीं उद्देश्यों से सम्बन्धित होनी चाहिये तभी निर्मित किया हुआ परीक्षण वैध होगा। तीसरे, ज्ञात समूहों (Known Groups) के माध्यम से भी उपलब्धि परीक्षणों की वैधता को ज्ञात किया जा सकता है।
उदाहरणार्थ- हम यह जानते हैं कि कक्षा में अमुक 10 छात्र पढने में अत्यन्त होशियार है, यदि हमारा उपलब्धि परीक्षण यही इंगित करे तो उसे वैध कहा जा सकता है। चौथे, सूचनाओं के आधार पर भी उपलब्धि परीक्षणों वैधता ज्ञात की जा सकती है।
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