लेखक और पुस्तक का परिचय:
“हिरोशिमा” (Hiroshima) अमेरिकी पत्रकार और लेखक जॉन हर्सी (John Hersey) द्वारा लिखित एक गैर-काल्पनिक (नॉन-फिक्शन) पुस्तक है, जो 6 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा पर अमेरिका द्वारा गिराए गए परमाणु बम के विनाशकारी प्रभावों और उसके बाद के संघर्षों को दर्शाती है। यह पुस्तक पहली बार 1946 में द न्यू यॉर्कर पत्रिका में प्रकाशित हुई और बाद में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित की गई। इसे द्वितीय विश्वयुद्ध की सबसे महत्वपूर्ण रचनाओं में गिना जाता है।
मुख्य विषय और कथानक:
पुस्तक छह हिरोशिमा निवासियों (जिन्हें “हिबाकुशा” कहा जाता है) की व्यक्तिगत कहानियों पर केंद्रित है, जो बम विस्फोट के समय शहर में मौजूद थे और बच गए। ये चरित्र हैं:
- मिस तानिमोतो (एक युवा क्लर्क),
- डॉक्टर मसाकाज़ू फुजी (एक चिकित्सक),
- फ्रॉ क्लेन्समन (एक जर्मन पादरी),
- डॉक्टर तेरुफुमी सासाकी (एक युवा सर्जन),
- हत्सुयो नाकामुरा (एक विधवा माँ),
- तोशियो सासाकी (एक कार्यालय कर्मचारी)।
विस्तृत सारांश:
1. बम विस्फोट का दिन (6 अगस्त, 1945):
- सुबह 8:15 बजे, अमेरिकी बमवर्षक विमान “एनोला गे” ने “लिटल बॉय” नामक परमाणु बम हिरोशिमा पर गिराया।
- बम विस्फोट के कुछ सेकंड में ही शहर का 90% हिस्सा नष्ट हो गया। लगभग 1,40,000 लोग तुरंत मारे गए, और हजारों बाद में विकिरण के प्रभाव से मर गए।
- पुस्तक में बचे लोगों के अनुभवों का वर्णन है: आग की लपटें, धमाके की लहर, और त्वचा के गलने जैसे भयानक दृश्य।
2. विस्फोट के तुरंत बाद:
- बचे हुए लोगों ने जलते हुए शहर में अपने परिवारों को ढूँढने की कोशिश की।
- डॉक्टर फुजी और सासाकी जैसे चिकित्सकों ने घायलों का इलाज करने की कोशिश की, लेकिन अस्पताल नष्ट हो चुके थे।
- हत्सुयो नाकामुरा ने अपने बच्चों को बचाने के लिए मलबे में छिपकर समय बिताया।
3. विकिरण का प्रभाव:
- बम विस्फोट के बाद, कई लोग “विकिरण बीमारी” (रेडिएशन सिकनेस) के शिकार हुए। उन्हें उल्टी, बाल झड़ने, और त्वचा पर काले धब्बे जैसे लक्षण दिखाई दिए।
- डॉक्टर सासाकी ने अस्पताल में घायलों की मदद की, लेकिन उनके पास दवाइयों और उपकरणों की कमी थी।
4. पुनर्निर्माण और जीवन संघर्ष:
- बचे लोगों ने खंडहर में नए सिरे से जीवन शुरू किया। हत्सुयो नाकामुरा ने अपने बच्चों को पालने के लिए छोटे-मोटे काम किए।
- मिस तानिमोतो ने शहर के पुनर्निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई।
- फ्रॉ क्लेन्समन ने युद्ध के बाद जापान में शांति और सुलह का संदेश फैलाया।
5. 40 साल बाद (1985 में जोड़ा गया अध्याय):
- हर्सी ने 1985 में पुस्तक को अपडेट करते हुए दिखाया कि बचे लोगों का जीवन कैसा रहा।
- कई लोगों को कैंसर और विकलांगता जैसी दीर्घकालिक समस्याओं का सामना करना पड़ा।
- तोशियो सासाकी ने शांति अभियानों में भाग लिया, जबकि डॉक्टर फुजी ने अपना जीवन चिकित्सा को समर्पित कर दिया।
पुस्तक की विशेषताएँ:
- मानवीय पहलू: हर्सी ने युद्ध के भयावहता को व्यक्तिगत कहानियों के माध्यम से दर्शाया है।
- पत्रकारिता शैली: यह पुस्तक एक डॉक्यूमेंटरी की तरह लिखी गई है, जिसमें तथ्यों और भावनाओं का संतुलन है।
- नैतिक प्रश्न: पुस्तक परमाणु हथियारों के नैतिक पहलुओं पर सवाल उठाती है और मानवता के लिए चेतावनी देती है।
निष्कर्ष:
“हिरोशिमा” एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जो युद्ध की विभीषिका को व्यक्तिगत स्तर पर दर्शाता है। यह पुस्तक पाठकों को यह समझने में मदद करती है कि परमाणु हमला सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि लाखों मासूम लोगों के जीवन का विनाश है। जॉन हर्सी ने इसके माध्यम से शांति और मानवीय संवेदनशीलता का शक्तिशाली संदेश दिया है।