दोस्तों आज हम लोग अपने प्रमुख हस्तियों में, मैं आपसे प्रो. नीना गुप्ता के जीवन परिचय /बाॅयोग्राफी के बारे में चर्चा करेगें की प्रो. नीना गुप्ता कौन थी, वह क्यों प्रसिद्ध हुई हैं। प्रो. नीना गुप्ता ने कैसे अपने देश भारत का कैसे रोशन किया है। प्रो. नीना गुप्ता को 2021 का रामानुजन पुरस्कार मिला है। आदि विषयों पर संक्षेप में बात करूँगा।
प्रो नीना गुप्ता- रामानुजन पुरस्कार 2021
भारतीय साँख्यिकी संस्थान -Indian Statistical Institute (ISI), कोलकाता में गणित की प्रोफेसर नीना गुप्ता को रामानुजन पुरस्कार से नवाजा गया है। प्रो. नीना गुप्ता यह सम्मान पाने वाली तीसरी महिला हैं। वहीं, अब तक चार भारतीयों को यह पुरस्कार मिल चुका है, मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, प्रो. नीना गुप्ता को यह पुरस्कार मिलने के बाद इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट (ISI) का मान बढ़ा है इसका यह कारण है कि अब तक जिन चार भारतीयों को रामानुजन पुरस्कार मिला है, उनमें से तीन ISI के ही फैकल्टी मेंबर हैं।
क्या है रामानुजन पुरस्कार?
रामानुजन पुरस्कार गणित के क्षेत्र में दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में माना जाता है। इस पुरस्कार का पूरा नाम रामानुजम प्राइज फाॅर यंग मेथमेटिशियन है। यह पुरस्कार हर साल विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों को दिया जाता है। यह पुरस्कार पाने के लिए उस व्यक्ति की उम्र 45 वर्ष के कम होनी चाहिए। सही मायने के यह पुरस्कार 45 वर्ष के युवा गणितज्ञों को अपनी पहचान बनाने के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है।
रामानुजन पुरस्कार पाने वालों में भारतीय-
1. सन् 2006 में सुजाता सामादोरई
2. सन् 2015 में अमलेंदू कृष्णा
3. सन् 2018 में ऋतब्रत मुंशी
इस पुरस्कार की शुरूआत साल 2005 में महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की याद में की गई थी । रामानुजन पुरस्कार को इंटरनेशनल सेंटर फाॅर थयोरेटिकल फिजिक्स रामानुजन पुरस्कार भी कहा जाता है। यह पुरस्कार इटली में स्थित अंतर्राष्ट्रीय सैद्धांतिक भौतिकी केंद्र द्वारा दिया जाता है। इसके लिए धन की व्यवस्था अल्बेल फंड के माध्यम से की जाती है। इस पुरस्कार को विज्ञान और प्रोद्यौगिकी मंत्रालय भारत सरकार, नार्वेजियन एकेडमी आफ साइंस एंड लेटर्स और अंतर्राष्ट्रीय गणितज्ञ संघ का भी सहयोग रहता है।
कौन थे श्रीनिवास रामानुजन?
श्रीनिवास रामानुजन के बारे में आपको बताए तो यह एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। इनका जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडू के इरोड गांव में हुआ था। उन्होंने गणित के क्षेत्र में संख्या सिद्धांत, गणितीय विश्लेषण और अनंत श्रंखला में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इनकी मृत्यु मात्र 32 वर्ष की आयु में ही हो गया था। इनकी याद में प्रत्येक वर्ष 22 दिसंबर को भारतीय गणित दिवस अथवा राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है।
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