वैदिक काल

वैदिक शब्द ‘वेद’ से बना है। वेद का अर्थ ज्ञान होता है। भारत में सैंधव संस्कृति के पश्चात जिस नवीन सभ्यता का विकास हुआ

वैदिक काल

सामान्यतः वैदिक साहित्य की रचना का श्रेय आर्यों को दिया जाता है। आर्यों के मूल निवास स्थान को लेकर मतभेद है।

वैदिक काल

वैदिक काल को दो भागों में विभाजित किया जाता है- ऋग्वैदिक अथवा पूर्ववैदिक काल (1500 ई.पू.-1000 ई.पू.)। उत्तर वैदिक काल (1000 ई.पू.-600 ई.पू.)

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त्रग्वेद में यमुना नदी का तीन बार जबकि गंगा नदी का एक बार उल्लेख हुआ है। इसमें कश्मीर की एक नदी मरुधा का उल्लेख मिलता है।

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वैदिक साहित्य को श्रुति भी कहा जाता है। ‘श्रुति’ का शाब्दिक अर्थ है सुना हुआ। वेद चार हैं-ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद।

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प्रत्येक वेद के चार भाग होते हैं-संहिता, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक और उपनिषद। ऋग्वेद में कुल 10 मंडल तथा 1028 सूक्त और 10552 ऋचाएं हैं।

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अथर्ववेद में 20 कोड, 731 सूक्त तथा 5987 मंत्र है। अथर्ववेद के मंत्रों का उच्चारण करने वाले पुरोहित, को ‘ब्रह्मा’ कहा जाता था।

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सत्यमेव जयते शब्द मुंडकोपनिषद से लिया गया है। अथर्ववेद का एकमात्र ब्राह्मण गोपथ ब्राह्मण है। इसका कोई आरण्यक नहीं है।

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