जैन शब्द संस्कृत के ‘जिन’ शब्द से बना है जिसका अर्थ विजेता है। जैन संस्थापकों को ‘तीर्थकर’ जबकि जैन महात्माओं को ‘निर्ग्रंथ’ कहा गया।
जैन धर्म में कल 24 तीर्थंकर माने जाते हैं, जिन्होंने समय-समय पर जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किया। ये हैं-
1. ऋषभदेव या आदिनाथ, 2. 1001 अजितनाथ, 3. संभवनाथ, 4. अभिनंदन, 5. सुमतिनाथ, 6. पद्मप्रभ, 7.सुपार्श्वनाथ, 8. चंद्रप्रभ, 9. पुष्पदंत (सुविधिनाथ), 10. शीतलनाथ
11. श्रेयांसनाथ, 12. वासुपूज्य, 13. विमलनाथ, 14. अनंतनाथ, 15.धर्मनाथ, 16. शांतिनाथ, 17. कुंथुनाथ, 18. अरनाथ, 19. मल्लिनाथ, 20. मुनि-सुव्रत,
21. नमिनाथ, 22. नेमिनाथ या अरिष्टनेमि, 23. पार्श्वनाथ एवं 24. महावीर स्वामी।
महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के निकट कंडग्राम या कुंडलपुर में लगभग 599 ई.पू. में हुआ था।
इनके पिता सिद्धार्थ ज्ञातक क्षत्रियों के संघ के प्रधान थे। इनकी माता त्रिशला अथवा विदेहदत्ता वैशाली के लिच्छवी गणराज्य के प्रमुख चेटक की बहन थीं।
महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्द्धमान था। इनकी पत्नी का नाम यशोदा (कुंडिन्य गोत्र की कन्या) था। इससे उन्हें अणोज्जा (प्रियदर्शना) नामक पुत्री उत्पन्न हुई।